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अलास्का में यूक्रेन युद्ध पर नहीं बनी बात... ट्रंप और पुतिन के बीच 3 घंटे बाद बेनतीजा रही बैठक, भारत की बढ़ सकती है मुश्किल

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वॉशिंगटन: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए शुक्रवार को आयोजित शिखर सम्मेलन खत्म हो गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बातचीत को बेहद प्रोडक्टिव बताया, हालांकि दोनों पक्ष किसी समझौते तक पहुंचने में नाकाम रहे। संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पहले बोलने वाले पुतिन ने वार्ता को आपसी सम्मान का रचनात्मक माहौल बताया और यह भी कहा कि अगर ट्रंप राष्ट्रपति होते तो यह युद्ध शुरू ही नहीं होता। हालांकि, अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि अगला कदम क्या होगा, यह अभी भी साफ नहीं है।



इस बीच अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में दोनों नेताओं के बीच बैठक में तनाव की जानकारी सामने आई है। फॉक्स न्यूज की वॉइट हाउस संवाददाता जैकी हेनेरिक ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कमरे में माहौल अच्छा नहीं था। ऐसा नहीं लग रह था कि चीजें ठीक जा रही हैं। ऐसा लग रहा था कि पुतिन अंदर आए और जो उन्हें कहना था, वह कहने लगे। राष्ट्रपति के बगल में फोटो खिंचवाई और फिर चले गए।



दोनों नेताओं ने नहीं दिए सवालों के जवाब

संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुतिन ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच एक सहमति बनी है, लेकिन वार्ता से जुड़ी कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी। पत्रकारों के सवालों के जवाब भी नहीं दिए गए। वहीं, बाद में आए ट्रंप ने कहा कि शिखर सम्मेलन बेहद उत्पादक रहा और कई बिंदुओं पर सहमति बनी। हालांकि, उन्होंने कहा कि वार्ता के दौरान यूक्रेन को लेकर कोई समझौता नहीं हो पाया।



ट्रंप ने बताया कई मुद्दों पर सहमति

ट्रंप ने कहा कि दोनों पक्ष समझौते पर अभी तक आगे नहीं बढ़ पाए हैं। इस दौरान ट्रंप ने मशहूर वाक्य दोहराया कि जब तक कोई डील नहीं होती, कोई डील नहीं समझनी चाहिए। उन्होंने कहा, कई ऐसे मुद्दे थे, जिन पर हम समहत थे। मैं कहूंगा ज्यादातर पर। कुछ बड़े मुद्दे ऐसे थे जिन पर हम अभी तक पूरी तरह सहमत नहीं हुए हैं, लेकिन हमने कुछ प्रगति की है। उन्होंने कहा, 'जब तक कोई समझौता नहीं होता, तब तक कोई समझौता नहीं कहा जा सकता।'



भारत के लिए बढ़ सकती है मुश्किल

अमेरिका और रूस के बीच डील पर सहमति न हो पाना भारत की मुश्किल बढ़ा सकता है। दक्षिण एशिया मामलों के अमेरिकी एक्सपर्ट माइकल कुगलमैन ने एक्स पर लिखा, 'किसी समझौते की घोषणा न होने से ऐसा लगता है कि शिखर सम्मेलन अच्छा नहीं रहा। इससे अमेरिका-भारत के बीच तनाव बढ़ सकता है।' कुगलमैन का इशारा अमेरिकी वित्त मंत्री बेसेंट के बयान की तरफ था, जिन्होंने कहा था कि अगर ट्रंप-पुतिन शिखर सम्मेलन नहीं रहा, तो भारत पर अमेरिकी टैरिफ बढ़ सकते हैं।



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