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वास्तु टिप्स: खाना खाते समय बैठने की सही दिशा क्या है? शायद आप नहीं जानते होंगे..

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वास्तु शास्त्र के अनुसार, सुखी और सकारात्मक जीवन के लिए कुछ नियमों का पालन करना ज़रूरी है। दैनिक जीवन में हम अक्सर कुछ छोटी-छोटी आदतों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जिनकी वजह से कभी-कभी अप्रत्याशित समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। खाने की सही दिशा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य और भाग्य पर पड़ सकता है। (साभार: एआई जेनरेटेड)वास्तु शास्त्र में भोजन के लिए सही दिशा का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर आप भोजन करते समय गलत दिशा में बैठते हैं, तो इसका न केवल आपके स्वास्थ्य पर, बल्कि आपके भाग्य और समृद्धि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कुछ दिशाएँ इतनी अशुभ मानी जाती हैं कि उनमें बैठकर भोजन करने से गंभीर स्थितियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं। तो आइए जानते हैं कि वास्तु के अनुसार भोजन के लिए कौन सी दिशा सबसे शुभ मानी जाती है। (साभार: AI जनरेटेड)वास्तु शास्त्र में पूर्व दिशा को भोजन के लिए सर्वोत्तम माना गया है। इस दिशा में भोजन करने से शरीर स्वस्थ और मन शांत रहता है। साथ ही, पूर्व दिशा में भोजन करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहता है। (साभार: AI जनरेटेड)वास्तु में उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करना भी शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिशा में भोजन करने से स्वास्थ्य बेहतर होता है और मन निर्मल होता है। उत्तर दिशा धन और शिक्षा संबंधी प्रगति के लिए लाभकारी मानी जाती है। इस दिशा में भोजन करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का निरंतर प्रवाह बना रहता है। (साभार: AI जनरेटेड)वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करना अशुभ माना जाता है। यह दिशा यमराज और मृत्यु से जुड़ी है, इसलिए माना जाता है कि इस दिशा में भोजन करने से जीवन में कठिनाइयाँ, बाधाएँ और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है। साथ ही, दक्षिण दिशा में भोजन करने से स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। (साभार: AI जनरेटेड)वास्तु शास्त्र में दिशाओं को विशेष महत्व दिया जाता है, खासकर भोजन के लिए सही दिशा चुनने में। सही दिशा में बैठकर भोजन करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और स्वास्थ्य, समृद्धि और सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है। (नोट: TV9 किसी भी तरह से अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है। यह रिपोर्ट केवल धार्मिक मान्यताओं और प्रचलित मान्यताओं, रीति-रिवाजों के आधार पर प्रस्तुत की गई है।) (साभार: AI जेनरेटेड)
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