News India Live, Digital Desk: बिहार की चुनावी बिसात पर अब सबसे बड़ा खिलाड़ी उतरने को तैयार है. जी हाँ, बात हो रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की. हवा का रुख भांपने में माहिर और अपने धुंआधार प्रचार के लिए जाने जाने वाले पीएम मोदी, अब बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरने जा रहे हैं. और इस बार उनकी तैयारी ऐसी है कि विपक्ष के खेमे में अभी से खलबली मच गई है.खबर है कि प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ 4 दिनों के भीतर बिहार में एक-दो नहीं, बल्कि पूरी12 चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे. यह सिर्फ रैलियां नहीं, बल्कि बीजेपी और एनडीए का वो 'ब्रह्मास्त्र' है, जिसके दम पर वह एक बार फिर बिहार की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही है.कब-कब बिहार में गरजेंगे पीएम मोदी?प्रधानमंत्री के इस तूफानी चुनावी दौरे का पूरा कार्यक्रम भी लगभग तय हो गया है. तारीखें नोट कर लीजिए:पहला दिन: 22 अक्टूबरदूसरा दिन: 27 अक्टूबरतीसरा दिन: 30 अक्टूबरचौथा दिन: 2 नवंबरहर दिन प्रधानमंत्री तीन अलग-अलग चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे. यानी हर दिन, बिहार के तीन अलग-अलग कोने, और सीधा जनता से संवाद. यह रणनीति दिखाती है कि बीजेपी इस चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रही है और उसे 'मोदी मैजिक' पर कितना भरोसा है.क्यों खास है पीएम मोदी का यह दौरा?यह सिर्फ वोटों की गिनती का सवाल नहीं है. बिहार का चुनाव हमेशा से ही देश की राजनीति को एक नई दिशा देता आया है. ऐसे में पीएम मोदी की ये रैलियां कई मायनों में अहम हैं:माहौल बनाना: पीएम मोदी अपनी रैलियों से पूरे प्रदेश में एनडीए के पक्ष में एक माहौल बनाने की कोशिश करेंगे.कार्यकर्ताओं में जोश: प्रधानमंत्री के आने से जमीन पर काम कर रहे बीजेपी और सहयोगी दलों के कार्यकर्ताओं में एक नया जोश और ऊर्जा भर जाएगी.विपक्ष पर सीधा हमला: इन रैलियों के मंच से पीएम मोदी सीधे तौर पर विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधेंगे और अपनी सरकार के काम काज का हिसाब जनता के सामने रखेंगे.साइलेंट वोटर को साधना: बिहार में एक बड़ा तबका 'साइलेंट वोटर' का है, जो आखिरी समय में अपना मन बनाता है. पीएम मोदी की रैलियां इस वोटर को साधने में एक अहम भूमिका निभा सकती हैं.साफ है कि बिहार का चुनावी दंगल अब अपने सबसे रोमांचक मोड़ पर पहुँचने वाला है. एक तरफ जहाँ विपक्ष जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दों के सहारे अपनी नाव पार लगाने की कोशिश में है, वहीं एनडीए ने अपना सबसे बड़ा 'इक्का' चल दिया है. अब देखना यह है कि 4 दिन में 12 रैलियों का यह 'मास्टरस्ट्रोक' चुनावी नतीजों को कितना बदल पाता है.
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