News India Live, Digital Desk: भारत के सबसे संवेदनशील और पुराने मामलों में से एक, बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में एक बेहद अहम सुनवाई हुई है. इस सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय सरकार (Union Government) को सीधे-सीधे आदेश दिया है कि वह बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर 6 हफ़्तों के भीतर अपना जवाब दे. राजोआना ने अपनी जेल की सज़ा को माफ़ करने या कम करने की मांग को लेकर यह याचिका दायर की थी.आपको याद होगा कि बलवंत सिंह राजोआना, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (Beant Singh) की हत्या के मामले में दोषी पाए गए थे. 1995 में हुए इस आतंकी हमले के बाद उन्हें फांसी की सज़ा सुनाई गई थी. हालांकि, बाद में सिखों की भावनाओं और देश में शांति बनाए रखने के मद्देनज़र, 2012 में राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की गई थी, जिसके बाद उनकी फांसी पर रोक लग गई थी. तब से वे पटियाला जेल में बंद हैं.राजोआना ने अपनी याचिका में यह अपील की है कि उन्होंने 27 साल से ज़्यादा का समय जेल में बिता लिया है और उनकी सज़ा में कटौती की जानी चाहिए या उन्हें माफ़ कर देना चाहिए. वे लंबे समय से अपनी सज़ा कम कराने की गुहार लगा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस दलील को गंभीरता से लिया है और केंद्र सरकार से साफ तौर पर इस मामले में अपना स्टैंड रखने को कहा है.केंद्र सरकार को अब 6 हफ़्तों के अंदर हलफ़नामा दर्ज़ करके बताना होगा कि वह राजोआना की याचिका पर क्या विचार कर रही है. कोर्ट के इस आदेश से यह लग रहा है कि अब इस मामले में कोई ठोस फैसला आ सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार क्या रुख अपनाती है और सुप्रीम कोर्ट का अगला फैसला क्या होता है.यह मामला पंजाब और देश के कई हिस्सों में बहुत संवेदनशील माना जाता है, क्योंकि इससे खालिस्तानी अलगाववाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गहरे मुद्दे जुड़े हुए हैं. राजोआना की रिहाई या सज़ा में कमी को लेकर सिख समुदाय के एक बड़े हिस्से में भावनाओं का सैलाब भी उमड़ता रहा है. अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में है और सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश का सबको इंतज़ार है.
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