News India live, Digital Desk: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया। यह कदम खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों को कम करने और घरेलू प्रसंस्करणकर्ताओं की सुरक्षा के उद्देश्य से उठाया गया है। पहले इन तीनों कच्चे खाद्य तेलों पर शुल्क 20 प्रतिशत था। भारत अपनी घरेलू खाद्य तेल आवश्यकता का 50 प्रतिशत से अधिक आयात करता है। भारत ने 2023-24 तेल विपणन वर्ष (नवंबर से अक्टूबर) के दौरान 159.6 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया, जिसकी कीमत 1.32 लाख करोड़ रुपये है। इस संबंध में वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को तत्काल प्रभाव से अधिसूचना जारी की।
संजीव चोपड़ा ने कहा कि सरकार ने कच्चे खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। उद्योग निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क पहले के 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। इन तीनों उत्पादों पर प्रभावी आयात शुल्क (मूल सीमा शुल्क और अन्य शुल्क सहित) अब 16.5 प्रतिशत होगा, जबकि पहले यह 27.5 प्रतिशत था।
रिफाइंड तेल पर मूल सीमा शुल्क 32.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बना हुआ है। वर्तमान में रिफाइंड तेलों पर प्रभावी शुल्क 35.75 प्रतिशत है। उद्योग निकाय एसईए और भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) ने इस निर्णय का स्वागत किया है। वे घरेलू प्रसंस्करणकर्ताओं की सुरक्षा के लिए कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों के बीच शुल्क अंतर को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
देर रात जारी बयान में एसईए के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने कहा, “कच्चे और रिफाइंड तेलों के बीच शुल्क अंतर को 8.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 19.25 प्रतिशत करने का सरकार का फैसला एक साहसिक और समय पर उठाया गया कदम है। इससे रिफाइंड पामोलिन के आयात में कमी आएगी और मांग वापस कच्चे पाम तेल की ओर बढ़ेगी, जिससे घरेलू रिफाइनिंग क्षेत्र में नई जान आएगी।” उन्होंने कहा कि कच्चे तेल पर शुल्क में कमी से घरेलू कीमतों को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा।
मेहता ने बताया कि रिफाइंड पाम ऑयल का आयात हाल ही में बढ़ा है, क्योंकि यह कच्चे पाम ऑयल से सस्ता है। भारत मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम ऑयल आयात करता है। सोयाबीन तेल ब्राजील और अर्जेंटीना से आता है।
आईवीपीए के अध्यक्ष सुधाकर देसाई ने कहा, “हम कच्चे और परिष्कृत खाद्य तेलों के बीच शुल्क अंतर को बढ़ाकर 19.25 प्रतिशत करने की आईवीपीए की सिफारिश को स्वीकार करने के लिए सरकार को धन्यवाद देते हैं।” देसाई ने कहा कि यह मेक इन इंडिया को सुनिश्चित करने और इस क्षेत्र को परिष्कृत तेलों की बाढ़ से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण साहसिक कदम है, जिससे वनस्पति तेल क्षेत्र की क्षमता को नुकसान हो रहा है।
मेहता ने कहा, ‘यह वनस्पति तेल रिफाइनर और उपभोक्ताओं के लिए जीत वाली स्थिति है, क्योंकि कच्चे तेलों पर शुल्क कम होने से स्थानीय कीमत कम हो जाएगी।’ 14 सितंबर, 2024 को कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क 0 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया।
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