गुर्दे की पथरी: गुर्दे हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग हैं, जो रक्त को शुद्ध करते हैं और विषाक्त पदार्थों व अतिरिक्त पानी को बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान मूत्र बनता है। गुर्दे शरीर में खनिजों और तरल पदार्थों का संतुलन बनाए रखते हैं ताकि स्वस्थ कार्य सुनिश्चित हो सके। हालाँकि, जब मूत्र में कैल्शियम, ऑक्सालेट या यूरिक एसिड की अत्यधिक मात्रा जमा हो जाती है, तो वे क्रिस्टलीकृत होकर धीरे-धीरे गुर्दे की पथरी का निर्माण करते हैं।ये पथरी आकार में छोटी हो सकती हैं, लेकिन कभी-कभी इतनी बड़ी हो जाती हैं कि ये गुर्दे या मूत्र मार्ग को अवरुद्ध कर सकती हैं। अपर्याप्त पानी का सेवन, अत्यधिक नमक या प्रोटीन का सेवन, जीवनशैली संबंधी विकार और आनुवंशिक कारक गुर्दे की पथरी के जोखिम को बढ़ाते हैं।गुर्दे की पथरी शुरुआत में छोटी होने पर ज़्यादा परेशानी नहीं देती, लेकिन जैसे-जैसे ये बड़ी होती जाती हैं, शरीर को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती हैं। ये सबसे पहले मूत्र मार्ग को अवरुद्ध करती हैं। इससे तेज़ दर्द और सूजन होती है। कभी-कभी पेशाब में खून भी आ जाता है। अगर पथरी लंबे समय तक गुर्दे या मूत्रमार्ग में रहे, तो यह पेशाब को अवरुद्ध कर सकती है और मूत्र मार्ग में संक्रमण (यूटीआई) का खतरा बढ़ा सकती है।लगातार दर्द और रुकावट धीरे-धीरे गुर्दे की कार्यक्षमता को कम कर सकती है। बड़े पथरी गुर्दे को स्थायी नुकसान पहुँचा सकते हैं, जिसके लिए डायलिसिस या सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। इसके अतिरिक्त, गुर्दे पर लंबे समय तक दबाव उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए गुर्दे की पथरी को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है।गुर्दे की पथरी सिर्फ़ खान-पान या आदतों के कारण ही नहीं होती, बल्कि ये वंशानुगत भी हो सकती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार, लगभग 20 से 30 प्रतिशत मामलों में गुर्दे की पथरी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचती है। इसका मतलब है कि अगर माता-पिता या किसी करीबी रिश्तेदार को गुर्दे की पथरी रही है, तो अगली पीढ़ी में इसका खतरा बढ़ जाता है।सफदरजंग अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. हिमांशु वर्मा बताते हैं कि इसका मुख्य कारण शरीर की चयापचय प्रक्रिया है। कुछ लोगों के शरीर में स्वाभाविक रूप से कैल्शियम, यूरिक एसिड या ऑक्सालेट का स्तर अधिक होता है। ऐसे में सामान्य आहार के साथ भी गुर्दे की पथरी का खतरा बना रहता है।इसके अलावा, ऐसा माना जाता है कि जिन परिवारों में पथरी बार-बार बनती है, उनमें आनुवंशिकता एक प्रमुख भूमिका निभाती है। खराब जीवनशैली जैसे अपर्याप्त पानी पीना, अत्यधिक नमक और प्रोटीन का सेवन, या बार-बार मूत्र मार्ग में संक्रमण (यूटीआई) भी इस स्थिति को बढ़ा सकते हैं। इसलिए, जिन लोगों के परिवार में गुर्दे की पथरी का इतिहास है, उन्हें शुरू से ही सतर्क रहना चाहिए और नियमित जांच करवानी चाहिए।इससे कैसे बचें: दिन भर खूब पानी पिएँ। नमक और प्रोटीन का सेवन नियंत्रित करें। पालक, चॉकलेट और चाय जैसे ऑक्सालेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें। अपने आहार में ताज़ी सब्ज़ियाँ और फल शामिल करें। शराब और फ़ास्ट फ़ूड से दूर रहें। नियमित रूप से स्वास्थ्य जाँच करवाएँ, खासकर अगर आपके परिवार में किसी को पथरी हुई हो।
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