गुजरात के अहमदाबाद में 100 करोड़ रुपये के वक्फ संपत्ति घोटाले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह नाका वक्फ की जमीन पर बने मकान और दुकान का 17 साल से किराया वसूल रहा था। ये लोग खुद को वक्फ का ट्रस्टी कहते थे। गिरफ्तार लोगों में एक हिस्ट्रीशीटर भी शामिल है।
पुलिस ने रविवार को बताया कि पांच लोगों को कथित तौर पर ट्रस्टी बनकर राज्य वक्फ बोर्ड के तहत पंजीकृत अहमदाबाद स्थित दो ट्रस्टों की जमीन पर बनी इमारतों का 17 साल से किराया वसूलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। शहर के गायकवाड़ हवेली पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के अनुसार, आरोपियों ने कांचनी मस्जिद ट्रस्ट और शाह बड़ा कसम ट्रस्ट की जमीन पर बने करीब 100 मकानों और दुकानों का किराया वसूला।
डीसीपी भरत राठौड़ ने बताया कि उसके खिलाफ धोखाधड़ी और जाली दस्तावेज बनाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। जांच से पता चला कि उन्होंने निजी लाभ के लिए वक्फ बोर्ड के तहत पंजीकृत ट्रस्ट की संपत्ति का दुरुपयोग किया था। वक्फ संपत्ति धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित होती है। ऐसी संपत्तियों से प्राप्त आय का उपयोग आमतौर पर धार्मिक गतिविधियों, दान या सार्वजनिक लाभ के लिए किया जाता है।
उन्होंने बताया कि आरोपियों ने दोनों ट्रस्टों के 5000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में अवैध निर्माण किया। उन्होंने 2008 से 2025 के बीच लगभग 100 संपत्तियां (मकान और दुकानें) बनाईं और हर महीने किराया वसूल किया। पांचों की पहचान सलीम खान पठान, मोहम्मद यासिर शेख, महमूद खान पठान, फैज मोहम्मद चोबदार और शाहिद अहमद शेख के रूप में हुई है। उन्होंने कहा कि सलीम खान पठान हिस्ट्रीशीटर है और उसके खिलाफ पांच मामले दर्ज हैं।
कांची मस्जिद ट्रस्ट की जमीन पर बनी संपत्तियों के किरायेदार मोहम्मद रफीक अंसारी ने कहा कि आरोपियों में से कोई भी किसी ट्रस्ट का सदस्य नहीं है। उन्होंने बताया कि किराये के पैसे को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने के अलावा आरोपियों ने शाह बाड़ा काशी ट्रस्ट के दान पात्र में जमा धन पर भी दावा ठोंका। आरोपियों ने कंचनी मस्जिद ट्रस्ट की जमीन पर 15 दुकानें भी बना लीं। उन्होंने कहा कि यह जमीन पहले एएमसी को उर्दू स्कूल के लिए दी गई थी।
2001 के भूकंप के दौरान स्कूल भवन क्षतिग्रस्त हो गया था। एएमसी ने 2009 में स्कूल को ध्वस्त कर दिया और इसे पास के क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया। इस सबके बीच फर्जी ट्रस्टियों ने दस दुकानें बना लीं, जिनमें से एक का इस्तेमाल आरोपी सलीम खान ने अपना कार्यालय खोलने के लिए किया। शिकायतकर्ता ने बताया कि दूसरे मकान को किराये पर दे दिया गया है।
शिकायत में यह भी कहा गया कि आरोपियों द्वारा एकत्र किया गया किराया न तो ट्रस्ट के खाते में जमा किया गया और न ही एएमसी को दिया गया। इस तरह उन्होंने एएमसी और वक्फ बोर्ड के साथ धोखाधड़ी की। मीडिया रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि वे ट्रस्टी बनकर ट्रस्ट की जमीन पर स्थित करीब 25 से 30 दुकानों से अवैध रूप से किराया वसूल रहे थे। ये लोग 15 आवासीय संपत्तियों यानी करीब 200 घरों से किराया वसूल रहे थे। यह भी दावा किया गया है कि इन लोगों ने अवैध रूप से करीब 100 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं।
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