नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर अमेरिका अपनी पीठ थपथपा रहा है। अमेरिका ने इस बात का दावा किया था कि उसने भारत-पाक की मध्यस्थता करते हुए युद्ध विराम पर सहमति बनवाई। हालांकि भारतीय विदेश मंत्रायल के द्वारा पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि सीजफायर में अमेरिका का कोई रोल नहीं है। अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी अमेरिका के दावे का खंडन कर दिया है। थरूर ने कहा कि इसे मध्यस्थता नहीं कहा जा सकता है, यह एक रचनात्मक भूमिका थी। भारत ने कभी किसी देश से मध्यस्थता की मांग नहीं की।
कांग्रेस सांसद थरूर ने कहा कि भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमेरिका के सेक्रेटरी मार्को रूबियो के साथ यूएई, ब्रिटेन और फ्रांस के विदेश मंत्रियों से भी लगातार संपर्क में थे। इसी तरह पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी इन देशों से बातचीत कर रहे थे। यह सामान्य कूटनीतिक प्रक्रिया है, जिसमें दोनों पक्षों की बातों से अवगत कराया जाता है। इसे आप मध्यस्थता बिलकुल नहीं कह सकते हैं। बता दें भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 10 अप्रैल की शाम को प्रेस कांफ्रेंस करके बताया था कि पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने आज दोपहर 3 बजकर 35 मिनट भारतीय डीजीएमओ को फोन किया। इसके बाद दोनों के बीच युद्ध विराम पर सहमति बनी। दोनों देशों के डीजीएमओ 12 मई को फिर से बातचीत करेंगे।
वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा था कि संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में एक पूरी रात तक चली वार्ता के बाद यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम के लिए मान गए हैं। ट्रंप ने इसके लिए देशों के नेताओं को उनकी बुद्धिमत्ता का उपयोग करने के लिए बधाई भी दी थी। ट्रंप के ट्वीट से पहले अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भी इसी तरह का एक पोस्ट किया था।
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