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Kerala High Court Important Remarks On Polygamy Among Muslims : खर्च नहीं उठा सकते तो…मुसलमानों में एक से अधिक शादी को लेकर केरल हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी, मुस्लिम पर्सनल लॉ का भी किया जिक्र

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नई दिल्ली। केरल हाईकोर्ट ने एक मुस्लिम महिला के गुजारा भत्ता मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है। हाईकोर्ट के जज ने कहा कि अगर कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी का खर्च उठाने, उसका भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं है तो उसे दूसरी या तीसरी शादी करने का कोई अधिकार नहीं है। यहां तक की मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत भी उसे ऐसा करने का हक नहीं है। यह पूरा केस बड़ा ही दिलचस्प है, दरअसल महिला ने अपने पति से 10 हजार रुपए प्रति माह गुजारा भत्ता मांगने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी, हालांकि महिला का पति खुद भीख मांगकर गुजारा करता है।

याचिकाकर्ता महिला ने आरोप लगाया कि उसका शौहर जो नेत्रहीन है वो भीख मांगकर अपना जीवन यापन करता है। अब उसे छोड़कर अपनी पहली पत्नी के साथ रह रहा है और तीसरी शादी करने की धमकी दे रहा है। अदालत ने महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रतिवादी मुस्लिम समुदाय से है और वह अपने मुस्लिम पर्सनल लॉ जो उसे एक के अधिक बार शादी करने की अनुमति देता है, उसका लाभ उठा रहा है। लेकिन जो व्यक्ति दूसरी या तीसरी पत्नी का भरण-पोषण नहीं कर सकता, उसे दूसरी या तीसरी शादी का भी कोई हक नहीं है।

कुरान की आयतों का दिया हवाला

अदालत ने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय में शिक्षा की कमी और मुसलमानों के प्रथागत कानून की जानकारी के अभाव में एक से अधिक शादियों का चलन है। अदालत ने कुरान की आयतों का हवाला देते हुए कहा कि यह पवित्र ग्रंथ बहुविवाह को केवल एक अपवाद मानता है। इससे पहले याचिकाकर्ता महिला ने पारिवारिक न्यायालय में भी अर्जी दायर की थी मगर वहां से उसकी अर्जी खारिज कर करते हुए कोर्ट ने कहा था कि जो खुद भीख मांगकर गुजारा कर रहा है, उसको गुजारा भत्ता देने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।

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