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एचआईवी का मतलब है ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस। यह एक ऐसा वायरस है जो सीधे आपके इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं पर असर डालता है। जिससे दूसरी बीमारियों से लड़ना मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी पर काबू पाना लगभग नामुमकिन है। लेकिन पिछले कुछ सालों से दुनिया भर के कई वैज्ञानिक इस गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में इस प्रायोगिक वैक्सीन का परीक्षण किया गया है। जिसके शुरुआती नतीजे काफी हद तक सकारात्मक रहे हैं।
इस नए एचआईवी वैक्सीन का पहला परीक्षण अमेरिका और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में किया गया था। लगभग 108 स्वस्थ लोगों को यह वैक्सीन दी गई थी। इस वैक्सीन की खासियत यह है कि यह वैक्सीन mRNA तकनीक का इस्तेमाल करके बनाई गई है। कोविड-19 वायरस की वैक्सीन भी इसी तकनीक का इस्तेमाल करके बनाई गई थी। लेकिन एचआईवी वायरस का रूप हर बार बदलता रहता है। इसके लिए वैक्सीन का बेहद कारगर होना ज़रूरी है।
mRNA वैक्सीन के परीक्षण के पहले चरण में 80 प्रतिशत लोगों में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज़ विकसित हुईं, यानी यह वैक्सीन इम्यूनिटी बनाए रखने में कारगर रही। लेकिन इसके साथ ही कई लोगों को त्वचा संबंधी रिएक्शन भी हुए। पहले परीक्षण के बाद ही यह समझ आ गया कि यह वैक्सीन कितनी सुरक्षित है। लेकिन इस टीके से बनने वाले एंटीबॉडी शरीर में कितने समय तक टिकेंगे? क्या यह टीका एचआईवी संक्रमित लोगों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा? इन सवालों के नतीजे परीक्षण के अगले चरण में समझ में आएंगे।
अब तक मिली जानकारी के अनुसार, mRNA तकनीक से बना यह टीका एचआईवी से लड़ने में कारगर हो सकता है। अगर वैज्ञानिकों को टीके के अगले चरण के परीक्षण में सफलता मिलती है, तो एचआईवी जैसी बेहद गंभीर बीमारी पर काबू पाना संभव हो सकेगा। यह टीका अगले कुछ वर्षों में बाजार में भी उपलब्ध हो जाएगा। हालाँकि, एचआईवी संक्रमण से बचने के लिए आपको उचित देखभाल करने की ज़रूरत है।
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