Next Story
Newszop

"Sarva Pitru Amavasya" कब है पितृपक्ष का अंतिम श्राद्ध? अभी नोट करे लें पितृ अमावस्या की तिथि, तर्पण का शुभ मुहूर्त और विधि

Send Push

7 सितंबर 2025 से भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष प्रारंभ हो चुका है, जिसका समापन अमावस्या श्राद्ध के दिन होगा। द्रिक पंचांग के अनुसार, अमावस्या श्राद्ध हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को किया जाता है। अमावस्या श्राद्ध को अमावस्या श्राद्ध, सर्व पितृ अमावस्या और सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अमावस्या तिथि पर किया गया श्राद्ध परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त होता है। इसलिए, अधिकांश लोग इसी तिथि पर श्राद्ध करते हैं। इस दिन श्राद्ध करके पितरों को विदाई दी जाती है। आइए जानते हैं कि 2025 में पितृ पक्ष का अंतिम श्राद्ध कब होगा। साथ ही, सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण करने का शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में भी जानेंगे।

सर्व पितृ अमावस्या पर किसका श्राद्ध किया जाता है?

इस दिन उन दिवंगत परिजनों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि, पूर्णिमा तिथि या चतुर्दशी तिथि को हुई हो। यदि कोई व्यक्ति पितृ पक्ष की अन्य तिथियों पर श्राद्ध न कर सके, तो वह अमावस्या तिथि पर सभी पूर्वजों का श्राद्ध कर सकता है। इसके अलावा, उन पूर्वजों का भी श्राद्ध किया जा सकता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है।

2025 में सर्व पितृ अमावस्या कब है?

द्रुक पंचांग के अनुसार, 2025 में 21 सितंबर को दोपहर 12:16 बजे से 22 सितंबर को सुबह 1:23 बजे तक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि सर्व पितृ अमावस्या अर्थात सर्व पितृ अमावस्या रहेगी। ऐसे में सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध रविवार, 21 सितंबर 2025 को किया जाएगा।

सर्व पितृ अमावस्या पूजन का शुभ मुहूर्त

सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध कुटुप मुहूर्त और रोहिण मुहूर्त में किया जाना चाहिए, जबकि श्राद्ध से संबंधित सभी अनुष्ठान दोपहर समाप्त होने से पहले पूरे कर लेने चाहिए। 21 सितंबर 2025 को कुटुप मुहूर्त दोपहर 12:08 बजे से 12:57 बजे तक है, जिसके बाद रोहिण मुहूर्त शुरू होगा। रविवार को रोहिण मुहूर्त दोपहर 1:45 बजे समाप्त होगा। वहीं, दोपहर का समय 01:45 बजे से 04:11 बजे तक रहेगा।

इस विधि से करें अमावस्या श्राद्ध

स्नान के बाद पवित्र धोती और पवित्र धागा धारण करें।
किसी पवित्र नदी या घर में किसी पवित्र स्थान पर अपना आसन स्थापित करें।
हाथ में चावल लेकर श्राद्ध का संकल्प लें।
जल में अक्षत डालकर देवताओं को अर्पित करें।


ऋषियों को जल और जौ अर्पित करें।
पितरों को जल, काले तिल और सफेद फूल अर्पित करें।

तर्जनी और अंगूठे के बीच कुश लेकर अंजलि अर्पित करें।
अंजलि में जल लेकर किसी खाली पात्र में अर्पित करें।
प्रत्येक पितरों के लिए तीन बार जल अर्पित करें। इस दौरान पितरों का नाम लेकर 'ॐ पितृभ्य नमः' मंत्र का जाप करें।
अब कहें, 'आप हमारे परिवार की रक्षा करें। हमारा कल्याण करें।' और अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना भी करें।
तर्पण के बाद बचा हुआ जल किसी पवित्र वृक्ष पर अर्पित करें।
तर्पण के बाद ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।

Loving Newspoint? Download the app now