चीन एआई और रोबोटिक्स के मामले में ज़बरदस्त तेज़ी से दौड़ रहा है। हाल ही में राजधानी बीजिंग में ह्यूमनॉइड रोबोट गेम्स भी आयोजित किए गए। इसमें रोबोट्स के कई कारनामे देखने को मिले। कोई रोबोट बॉक्सिंग कर रहा था, कोई फुटबॉल खेल रहा था, तो कोई रेसिंग कर रहा था। रोबोट्स के ये वो काम हैं जो आपका मनोरंजन करते हैं। लेकिन अब एआई तकनीक की मदद से रोबोट्स कई ऐसे कारनामे करने वाले हैं, जो मानव जाति को चौंका सकते हैं। चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिसमें एआई से चलने वाले सर्जिकल रोबोट ऑपरेशन भी कर सकेंगे। इससे पहले, चीन से खबर आई थी कि ऐसे रोबोट्स पर काम चल रहा है, जो इंसानी बच्चे को जन्म दे सकेंगे। ऐसे आविष्कार वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को भी हैरान कर रहे हैं।
ज़िंदा सूअरों पर एआई रोबोट का परीक्षण
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, हांगकांग स्थित चीनी विश्वविद्यालय की एक टीम ने एक एआई सिस्टम बनाया है जो एक सर्जिकल रोबोटिक आर्म को नियंत्रित करता है। यह सर्जनों के तीसरे हाथ की तरह काम करेगा। रोबोट सामान्य सर्जरी भी कर सकेंगे। उदाहरण के लिए, ऊतक निकालना, गॉज (उपचार के दौरान इस्तेमाल होने वाला रूई का एक छोटा टुकड़ा) निकालना और रक्त वाहिकाओं को बंद करना, इन सभी से मदद मिलती दिखाई देगी। इससे मरीजों को ऑपरेशन के लिए लंबा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि काम तेज़ी से होगा। इस तकनीक का पहला परीक्षण एक जीवित सूअर पर किया गया था, जो सफल रहा।
परीक्षण के दौरान एआई रोबोट ने क्या किया?
परीक्षण के दौरान, शोध दल ने एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जन के साथ मिलकर सूअर के पेट को आसपास के अंगों से अलग करने के लिए सर्जरी की। इस दौरान एआई रोबोट ने कई काम किए। उसने अपने पेट के पास रखी गॉज उठाई। गॉज खून से सनी हुई थी और उसका रंग लाल हो गया था। उसका रंग और ऊतक का रंग देखकर रोबोट एक बार तो उलझन में पड़ गया, लेकिन एआई ने इसे सही तरीके से किया। सबसे मुश्किल काम रक्त वाहिका को क्लिप करना था, क्योंकि इसके लिए काफी अनुभव की आवश्यकता थी। लेकिन रोबोट ने इसे 6 में से 4 बार किया।
जैसे स्वचालित कारों ने भरोसा जीता है, वैसे ही AI रोबोट भी जीतेंगे।
शोध दल का नेतृत्व करने वाले डू क्यूई ने बताया कि यह सुनिश्चित करना बेहद ज़रूरी है कि AI सर्जिकल रोबोट पूरी सावधानी से सर्जरी करे। उन्होंने आगे कहा कि जैसे-जैसे लोगों का स्वचालित वाहनों पर भरोसा बढ़ता गया और उन्हें स्वीकार किया जाने लगा, वैसे-वैसे सर्जिकल रोबोट को अपनाने में भी समय लगेगा। मरीज़ों का भरोसा जीतने के लिए, रोबोट को हर काम सावधानी और पूरी सुरक्षा के साथ करना होगा। इस तकनीक की सबसे खास बात यह है कि जब सर्जन को लगे कि AI रोबोट ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो वे खुद ही इसे नियंत्रित कर सकते हैं।
पहले यह एक सपना लगता था, अब हकीकत के बेहद करीब
चीन में विकसित की जा रही यह तकनीक अभी अपने शुरुआती दौर में है। शोध का नेतृत्व करने वाले डू क्यूई और उनकी टीम चाहते हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा वैज्ञानिक इस शोध से जुड़ें। उन्होंने अपने सर्जिकल AI सॉफ़्टवेयर को ओपन सोर्स करने का फ़ैसला किया है, ताकि दुनिया भर के शोधकर्ता इसका मुफ़्त में इस्तेमाल कर सकें। डॉ क्यूई का मानना है कि कुछ साल पहले स्वचालित सर्जरी एक सपना लगती थी, लेकिन अब यह हकीकत के बेहद करीब है।
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