उत्तराखंड अपनी खूबसूरती के लिए देश-विदेश में मशहूर है। लाखों पर्यटक यहां विभिन्न हिल स्टेशनों पर घूमने आते हैं। इसके अलावा, उत्तराखंड के कुछ पहाड़ी इलाकों में लोग धार्मिक तरीके से शादी करने के लिए भी आते हैं। यहां हम आपको पांच प्रमुख विवाह स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पारंपरिक और धार्मिक तरीके से शादियां होती हैं।
तियुगी नारायण मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और खास तौर पर भगवान विष्णु द्वारा यहां त्रियुगी (तीन युग) तक तपस्या करने की कथा प्रसिद्ध है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने तीन युगों तक यहां तपस्या करके भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। विवाह और संतान सुख की प्राप्ति के लिए यह स्थान भक्तों के बीच खास तौर पर महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि यहां पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और संतान की प्राप्ति होती है। यहां शादी करने से रिश्ता युगों-युगों तक टिका रहता है। रुद्रप्रयाग से तियुगी नारायण तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग है और यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता से भी घिरा हुआ है, जो इसे पर्यटकों के साथ-साथ धार्मिक तीर्थयात्रा के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनाता है।
धारी देवी मंदिर पौड़ी जिले में श्रीनगर से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। धारी देवी को चारों धामों की रक्षक देवी भी कहा जाता है। यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह विवाह स्थल के रूप में भी लोकप्रिय हो रहा है। मान्यता है कि यहां विवाह करने से धारी देवी रिश्ते को मजबूत और अटूट बनाती हैं। धारी देवी पहुंचने के लिए सबसे पहले ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से श्रीनगर जाएं और वहां से धारी देवी जाएं। यह मंदिर सड़क मार्ग से मात्र 100 मीटर की दूरी पर स्थित है।
उमा देवी मंदिर चमोली जिले के कर्णप्रयाग में स्थित है। मान्यता है कि भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने यहां तपस्या की थी। इसलिए इसे विवाह के लिए उपयुक्त माना जाता है। और यहां विवाह करने से रिश्ते की उम्र लंबी होती है। उमा मंदिर पहुंचने के लिए बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से चमोली जिले में प्रवेश करना पड़ता है। इसके बाद कर्णप्रयाग शहर के बाजार में उमा देवी मंदिर स्थित है। देवप्रयाग उत्तराखंड का एक पवित्र स्थान है, जहां भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यहां भागीरथी और अलकनंदा नदियों का संगम है, जिसके कारण इस स्थान का विशेष धार्मिक महत्व है। यहां विवाह करना शुभ माना जाता है क्योंकि इसे आशीर्वाद और सुखी जीवन का प्रतीक माना जाता है। देवप्रयाग ऋषिकेश से 70 किलोमीटर दूर है, जहां सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। पर्यटक और श्रद्धालु ऋषिकेश से बस, टैक्सी या निजी वाहन से देवप्रयाग जाते हैं। यह स्थान आस्था और धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है।
रुद्रप्रयाग जिले से करीब 41 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उखीमठ एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां ओंकारेश्वर मंदिर स्थित है। यह मंदिर सर्दियों के दौरान भगवान केदारनाथ और मध्य महेश्वर की पालकियों का निवास स्थान होता है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है। मान्यता के अनुसार उखीमठ वही स्थान है जहां बाणासुर की पुत्री उषा और श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध का विवाह हुआ था। यह विवाह एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के रूप में स्थापित है और इस स्थान को अब विवाह स्थल के रूप में भी मान्यता मिल रही है। यहां की शांति, प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के कारण उखीमठ एक आदर्श स्थान बन गया है जहां लोग अपने विवाह को विशेष और पवित्र तरीके से मनाने के लिए आना पसंद करते हैं।
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