हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 6 सितंबर 2025 को जारी की गई उच्चतम वेतनमान की अधिसूचना, जिसे बाद में वापस लेने की बात कही गई थी, के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। इस अधिसूचना के माध्यम से 3 जनवरी 2022 के उच्चतम वेतनमान को वापस लेने की बात की गई थी, जिसे कर्मचारियों और संगठनों ने अन्यायपूर्ण बताया था।
हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। राज्य सरकार से यह पूछा गया है कि क्यों न इस अधिसूचना को रद्द किया जाए, और चार सप्ताह के भीतर सरकार से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
अधिसूचना के खिलाफ याचिकाएं
अधिसूचना के खिलाफ विभिन्न संगठनों और कर्मचारियों ने याचिकाएं दायर की हैं, जिनका कहना है कि राज्य सरकार द्वारा 3 जनवरी 2022 के उच्चतम पे स्केल को वापस लेना कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन है। इसके साथ ही, कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि इस कदम से राज्य के कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
राज्य सरकार का पक्ष
हालांकि, राज्य सरकार ने इस अधिसूचना को कुछ प्रशासनिक कारणों से वापस लेने की बात कही है, लेकिन इसके बारे में अब तक पूरी तरह से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। सरकार का कहना है कि यह कदम राज्य के वित्तीय हालात और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए लिया गया था।
अगली सुनवाई 13 नवंबर को
हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को तय की है। यह सुनवाई उस समय होगी जब राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा। यदि राज्य सरकार याचिकाओं के खिलाफ उचित जवाब नहीं दे पाती, तो न्यायालय इस मामले में आगे की कार्रवाई कर सकता है।
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