यूपी के आगरा जिले में एक ऐसे हत्याकांड का खुलासा हुआ है, जो 20 महीने से पुलिस के लिए एक बड़ी पहेली बना हुआ था। दरअसल, यह एक ऐसा हत्या का मामला था, जिसे पुलिस शुरुआत में एक ब्लाइंड मर्डर मान रही थी। लेकिन आखिरकार सच्चाई सामने आ ही गई। महीनों की लंबी जाँच के बाद, जब आगरा पुलिस ने उस राज से पर्दा उठाया, तो पूरे इलाके के लोग दंग रह गए। हत्या की यह पूरी कहानी ब्लैकमेलिंग, बदले और साजिश से भरी है।
20 फरवरी 2024, यूपी के आगरा जिले में एक गाँव है मलपुरा। उस दिन, सड़क के किनारे एक खेत के बिल्कुल किनारे एक इंसान का बुरी तरह जला हुआ शव पड़ा था। और वहाँ एक नीला ड्रम पड़ा था। लेकिन वह व्यक्ति इस हालत में यहाँ कैसे पहुँचा? उसे किसने मारा? उसके शव को वहाँ किसने जलाया, ये सारे सवाल फिलहाल एक राज हैं। ज़ाहिर तौर पर यह पूरी तरह से ब्लाइंड मर्डर का मामला था। जिसमें हत्यारे ने सबूत मिटाने के लिए शव को इतनी बुरी तरह जलाया था कि उसकी पहचान नामुमकिन हो जाए। कपड़ों की बात तो छोड़ ही दें, शव के रेशे तक जल चुके थे।
शव की पहचान नहीं हो पाई थी, हालाँकि, आगरा पुलिस ने गाँव वालों से बात की और उन्हें शव की पहचान के लिए बुलाया। जाँच के दौरान पता चला कि इसी मलपुरा गाँव से दो दिन पहले यानी 18 फ़रवरी को एक युवक लापता हुआ था। जिसका फिलहाल पता नहीं चल पाया था। उसका नाम राकेश सिंह था। अब पुलिस राकेश सिंह के घरवालों को बुलाती है। लेकिन राकेश के घरवाले भी शव की पहचान करने से इनकार कर देते हैं। उन्हें नहीं लगता कि यह उनके बेटे का शव हो सकता है। ऐसे में पुलिस की उम्मीद टूट जाती है।
डीएनए सैंपल से लाश का रहस्य उजागर हुआ और फिर पुलिस ने लाश का डीएनए टेस्ट कराने का फैसला किया। चूँकि राकेश अभी भी लापता था, इसलिए पुलिस ने राकेश के परिवार वालों को उसका डीएनए सैंपल देने के लिए मना लिया। डीएनए सैंपल लिया गया। यहाँ, पुलिस जले हुए शव से कुछ डीएनए सैंपल इकट्ठा करती है और फिर दोनों को मिलान के लिए फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी भेज दिया जाता है। और फिर लंबे इंतज़ार के बाद जब डीएनए रिपोर्ट आती है, तो वही बात सामने आती है, जिसका पुलिस को शक था। वह शव राकेश का ही था। क्योंकि शव से लिया गया डीएनए सैंपल राकेश की माँ से बिल्कुल मेल खाता था। ऐसे में शक की कोई गुंजाइश नहीं बची थी।
राकेश की हत्या की वजह क्या थी? लेकिन यह तो आधी जाँच ही थी। असली जाँच तो अभी बाकी थी। इसलिए, पुलिस आगे की जाँच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि राकेश या उसके परिवार की किससे दुश्मनी थी? क्योंकि बिना किसी दुश्मनी के कॉलेज जाने वाले लड़के की इस तरह हत्या होने की संभावना लगभग न के बराबर थी। इस मामले में सीसीटीवी जाँच की कोई गुंजाइश नहीं थी। क्योंकि जहाँ लाश मिली थी, वह खुली जगह थी और वहाँ सीसीटीवी कैमरों का कोई निशान नहीं था।
जाँच में राकेश के फूफा का नाम सामने आया, अब आगरा पुलिस जासूसी मोड में है। पुलिस ने हत्या में शामिल संदिग्धों के बारे में पता लगाने के लिए गाँव और आस-पास के लोगों से गोपनीय तरीके से पूछताछ की और इसी कड़ी में उन्हें राकेश के रिश्ते के प्रेमी देवीराम के बारे में जानकारी मिली। देवीराम की गाँव में ही मिठाई की दुकान हुआ करती थी। सूत्रों ने बताया कि राकेश का कुछ दिन पहले देवीराम से किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था।
20 महीने बाद इस अंधे कत्ल के खुलासे के बाद अब पुलिस ने बिना देर किए देवीराम को हिरासत में ले लिया और उससे पूछताछ शुरू कर दी है। देवीराम इनकार करता रहा। लेकिन जब पुलिस ने उसके मोबाइल की तलाशी ली, तो उसमें से कुछ ऑडियो क्लिप बरामद हुईं, जो उसने राकेश को भेजी थीं। इन क्लिप से दोनों के बीच चल रहे विवाद का संकेत मिला। ऐसे में पुलिस ने देवीराम पर सख्ती बरती और आखिरकार करीब 20 महीने बाद अंधे कत्ल का मामला सामने आया। कातिल देवीराम को गिरफ्तार कर लिया गया।
कुछ वीडियो राकेश की मौत का कारण बन गए। देवीराम ने हत्या का जो मकसद बताया, यानी हत्या की वजह और जिस तरह से वारदात को अंजाम दिया, वह भी कम हैरान करने वाला नहीं था। देवीराम ने बताया कि राकेश ने उसकी बेटी के कुछ आपत्तिजनक वीडियो बना लिए थे और उसे लगातार ब्लैकमेल कर रहा था। ये वीडियो राकेश ने उसकी बेटी को नहलाते समय धोखे से बना लिए थे। जिससे वह राकेश से नाराज था और उसने इस वारदात को अंजाम दिया।
इस तरह राकेश की हत्या हुई। 18 फरवरी 2024 की रात उसने धोखे से राकेश को कुछ बातचीत करने के बहाने अपनी दुकान पर बुलाया और मौका मिलते ही तार और मफलर से राकेश का गला घोंट दिया। इसके बाद उसने अपने एक भतीजे को शव ढूंढने में मदद के लिए बुलाया और दोनों ने मिलकर पहले राकेश के शव को नीले रंग के ड्रम में भरा और फिर उसे लोडर में डालकर गाँव के बाहर खारी नदी पर ले गए और शव पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी और राकेश का मोबाइल फोन व अन्य सामान नदी में फेंक दिया और भाग गए।
देवीराम दिल्ली में काम करता था। देवीराम ने इसके बाद अपनी मिठाई की दुकान भी बंद कर दी थी और वह दिल्ली में काम करने लगा था। लेकिन जब डीएनए टेस्ट से शव की पहचान हुई और पुलिस को राकेश और देवीराम की दुश्मनी की जानकारी मिली, तो आखिरकार मामला सामने आ गया।
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