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मछुआरों की आय दोगुनी करने की दिशा में कदम, बिहार सरकार ने शुरू की “नाव एवं जाल पैकेज वितरण योजना”

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बिहार सरकार ने राज्य के मछुआरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनकी आय बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की है। इस योजना का नाम “नाव एवं जाल पैकेज वितरण योजना” रखा गया है। योजना के तहत राज्य के मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सदस्य, परंपरागत मछुआरे, महिला मछुआएं तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के मछुआरों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।

मत्स्य संसाधन विभाग के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य मछुआरों को आधुनिक साधन उपलब्ध कराना है ताकि वे अपने पारंपरिक व्यवसाय को और बेहतर ढंग से आगे बढ़ा सकें। नाव और जाल मछली पालन की बुनियादी जरूरतें हैं। अब तक कई गरीब मछुआरों के पास पर्याप्त संसाधन न होने के कारण वे मछली पकड़ने के काम को बड़े स्तर पर नहीं कर पाते थे। लेकिन इस योजना के लागू होने से उनकी कार्यक्षमता और उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय सुधार आएगा।

योजना के अंतर्गत लाभुकों को नाव और जाल का पैकेज रियायती दर पर उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें विशेष रूप से महिला मछुआरों और वंचित वर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार का मानना है कि इस पहल से न केवल मछुआरों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी बल्कि राज्य में मत्स्य उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार जैसे राज्य में, जहाँ नदियाँ और जलाशय बड़ी संख्या में मौजूद हैं, मत्स्य पालन की अपार संभावनाएँ हैं। अगर मछुआरों को सही संसाधन और तकनीक उपलब्ध करा दी जाए, तो यह क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकता है। यही वजह है कि सरकार ने इस योजना को प्राथमिकता में रखा है।

मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि “नाव एवं जाल पैकेज वितरण योजना” से हजारों मछुआरों को सीधा लाभ मिलने की संभावना है। योजना के लिए जिला स्तर पर चयन प्रक्रिया तय की गई है और लाभुकों की सूची तैयार की जा रही है। पात्र मछुआरों को समय पर सामग्री उपलब्ध कराने के लिए विभाग ने पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने का भरोसा दिया है।

गांवों के मछुआरे इस योजना को लेकर काफी उत्साहित हैं। उनका कहना है कि इससे उनकी आजीविका में सुधार होगा और वे पहले से ज्यादा मछली पकड़कर बाजार में अच्छी कीमत पा सकेंगे। महिला मछुआरों का मानना है कि नाव और जाल मिलने से उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलेगा और वे परिवार की आर्थिक मजबूती में बेहतर योगदान दे सकेंगी।

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यदि योजना का सही क्रियान्वयन हुआ तो राज्य के मछुआरे न केवल आत्मनिर्भर बनेंगे बल्कि अतिरिक्त आय अर्जित कर जीवन स्तर में सुधार भी करेंगे। इससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे और ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

बिहार सरकार ने साफ किया है कि उसका लक्ष्य सिर्फ मछुआरों को संसाधन उपलब्ध कराना नहीं है बल्कि उन्हें लंबे समय तक आत्मनिर्भर बनाना है। इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और आधुनिक तकनीक के उपयोग पर भी जोर दिया जाएगा।

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