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राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार ने विष्णुपद मंदिर में पितृपक्ष पर पिंडदान किया

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पितृपक्ष के पवित्र अवसर पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार ने गयाजी के प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर में पिंडदान कर पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और भाग्यश्री सहित परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

परिवार ने विधिवत पिंडदान और धार्मिक कर्मकांड वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ संपन्न किया। तेजस्वी यादव ने बताया कि यह कार्य लालू जी की अंतिम इच्छा के अनुरूप किया गया। उन्होंने कहा, “पितृपक्ष के दौरान पिंडदान करना हमारे परिवार की परंपरा है और यह लालू जी की इच्छा भी थी कि उनके पितरों के मोक्ष और समस्त पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यह कार्य संपन्न किया जाए।”

विष्णुपद मंदिर, गयाजी, पितृपक्ष के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख केंद्र माना जाता है। इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु अपने पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान करते हैं। इस अवसर पर मंदिर परिसर में वैदिक मंत्रोच्चारण और धार्मिक अनुष्ठान का माहौल देखने योग्य होता है।

परिवार ने पिंडदान के दौरान परंपरागत विधि का पालन किया। राबड़ी देवी और भाग्यश्री ने भी विधिवत कर्मकांड में भाग लिया और मंत्रोच्चारण के दौरान श्रद्धालुओं के लिए आशीर्वाद दिया। तेजस्वी यादव ने कहा कि पितृपक्ष का यह अवसर परिवार को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से जोड़ता है और पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करने का माध्यम है।

इस मौके पर आसपास के लोगों और मंदिर में उपस्थित श्रद्धालुओं ने भी राजद परिवार के इस धार्मिक अनुष्ठान को देखा और उनका आशीर्वाद लिया। धार्मिक विशेषज्ञों का कहना है कि पितृपक्ष के समय पिंडदान का महत्व अत्यधिक है और इसे वैदिक विधि के अनुसार करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।

गया जिले में पितृपक्ष के दौरान विष्णुपद मंदिर हमेशा से ही श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। राजद परिवार द्वारा आयोजित यह पिंडदान समारोह धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह न केवल परिवार के सदस्यों की श्रद्धा को दर्शाता है बल्कि जनता के बीच उनके धार्मिक और पारिवारिक मूल्यों को भी उजागर करता है।

इस प्रकार, लालू प्रसाद यादव के परिवार ने पितृपक्ष पर पिंडदान कर एक बार फिर धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया। यह आयोजन परिवार के लिए भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है।

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