रांची, 08 अगस्त( हि.स.)। चारा घोटाला के तर्ज पर जीएसटी घोटाले में शामिल व्यापारियों ने बाइक और स्कूटर पर 25-30 टन स्क्रैप ढोने के कारनामे को अंजाम दिया है। सिस्टम को बाईपास कर बगैर इवे-बिल के ही लोहा, कोयला सहित अन्य सामग्रियों को एक राज्य के व्यापारी से दूसरे राज्य के व्यापारी को बिक्री दिखाया। साथ ही कमीशन लेकर लास्ट यूजर को फर्जी जीएसटी बिल बेच दिया। इस बिल के सहारे लास्ट यूजर ने भी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ लिया।
जीएसटी घोटाले में ईडी ने मेसर्स पूजाशी इंटरप्राइजेज के जरिये मेसर्स तिरूमाला इंटरप्राइजेज को स्क्रैप की बिक्री दिखाने के लिए तैयार दस्तावेज की जांच की। इसमें पाया गया कि मेसर्स पूजाशी इंटरप्राइजेज ने 25-30 टन स्क्रैप मेसर्स तिरूमाला इंटरप्राइजेज को बेचने के लिए जीएसटी बिल जारी किया था। स्क्रैप की ढुलाई ट्रकों के सहारे दिखायी गयी थी।
दस्तावेज में स्क्रैप की ढुलाई के लिए इस्तेमाल किये गये ट्रकों का नंबर टीएन 28एएम9803 और यूपी 21बीएम9302 दर्ज किया था। ईडी ने दस्तावेज में दिखाये गये इन ट्रकों की जांच की। इसमें टीएन 28एम 9803 नंबर वाली गाड़ी ट्रक, वास्तव में हीरो होंडा सीडी डॉन मोटरसाइकिल पायी गयी। 25-30 टन स्क्रैप ढोने वाली यूपी 21बीएम 9302 नंबर की ट्रक भी मोटरसाइकिल निकली।
इवे-बिल पाया गया फर्जी
इस तरह जीएसटी घोटाले में सामग्रियों की ढुलाई के लिए मनमाने तरीके से स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार आदि के नंबरों का इस्तेमाल किया गया। इन दोनों कंपनियों के बीच सामग्रियों को एक जगह से दूरी जगह तक पहुंचाने के लिए इवे-बिल नंबर 881020903915 और 831010780196 का इस्तेमाल दिखाया गया था। जांच के दौरान दोनों ही इवे-बिल फर्जी पाये गये। ईडी ने मेसर्स पूजाशी से जुड़े इवे-बिल संख्या 711196176269 की जांच की। इस बिल के सहारे दिल्ली से हावड़ा स्क्रैप की ढुलाई दिखायी गई थी। स्क्रैप की ढुलाई के लिए ट्रक नंबर एचआर 37ई 7267 का इस्तेमाल दिखाया गया था।
टोल प्लाजा से गुजरने वाली गाड़ियों के नंबरों की जांच
ईडी ने सामग्रियों की इस ढुलाई के दावे की जांच के दौरान दिल्ली से हावड़ा तक के बीच के टोल प्लाजा से गुजरने वाली गाड़ियों के नंबरों की जांच की। इसमें इस ट्रक को दिल्ली से हावड़ा जाने के लिए किसी टोल प्लाजा के क्रॉस करने का साक्ष्य नहीं मिला। टोल प्लाजा से मिले ब्योरे की जांच के दौरान इस ट्रक का मूवमेंट सिर्फ हरियाणा से उत्तर प्रदेश के बीच पाया गया। यह ट्रक कभी दिल्ली नहीं गयी थी। ईडी ने जांच में पाया कि फर्जी दस्तावेज के सहारे आइटीसी का लाभ लेने के लिए अधिकांश मामलों में एक-दो किलोमीटर के दायरे के लिए इवे-बिल जारी किया जाता था। स्थानीय स्तर पर सामग्रियों की ढुलाई के लिए जारी किये गये, इस तरह के इवे-बिल का इस्तेमाल एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच फर्जी तरीके से समाग्रियों की ढुलाई के लिए कागजी तौर पर दिखाया जाता था। इसका उद्देय जीएसटी घोटाले के सिंडिकेट में शामिल कंपनियों की बीच आइटीसी का अनुचित लाभ लेना है।
उल्लेखनीय है कि ईडी ने सात अगस्त को जीएसटी घोटाले से जुड़े छह लोगों के कुल 12 ठिकानों पर छापेमारी शुरू की थी। ईडी ने रांची के श्याम ठक्कर, जमशेदपुर के ज्ञानचंद जयसवाल, सरायकेला के पंचानंद सरदार, धनबाद के चीनू अग्रवाल उर्फ अमित अग्रवाल और मुंबई के अंकेश जैन उर्फ मलिक जी के ठिकानों पर छापेमारी शुरू की थी। 750 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले में जारी छापेमारी के दौरान ईडी को गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी ) का लाभ लेने से संबंधित दस्तावेज मिले हैं। ईडी ने छापेमारी के दायरे में शामिल किये गये व्यापारियों के ठिकानों से डिजिटल डिवाईस और दस्तावेज जब्त कर लिया है।
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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे
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