– पीपुल्स विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता पर संगोष्ठी का आयोजन
भोपाल, 14 मई . पीपुल्स विश्वविद्यालय एवं मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग भोपाल द्वारा बुधवार को समग्र शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता पर संगोष्ठी का आयोजन उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के मुख्य आतिथ्य में किया गया. मंत्री परमार ने कहा कि न्यू एजुकेशन पालिसी-2020 लागू होने के बाद मध्य प्रदेश में बहुत तेजी से इस पर कार्य चल रहा है.
उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति प्राचीन है. दुनिया ने अपने मतलब के लिये दुष्प्रचार किया कि हिंदुस्तान अनपढ़ लोगों का देश है, जबकि 1000 साल पहले भारत मे 7 लाख से ज्यादा गुरुकुल थे. प्रत्येक प्रदेश की भाषा में ग्रंथ हुआ करते थे, जिससे किसी को भी अध्ययन में परेशानी ना हो, सभी गुरुकुल स्वतंत्र थे. मंत्री परमार ने कहा कि नालंदा और तक्षशिला के वैद्य विदेशों मे जाकर इलाज किया करते थे.
पीपुल्स विश्वविद्यालय की प्रो. चांसलर मेघा विजयवर्गीय ने कहा भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण विशेषताएँ सभ्य संचार, विश्वास, मूल्य, शिष्टाचार और अनुशासन हैं. भारत दुनिया भर में अपनी ‘विविधता में एकता’ के लिए जाना जाता है. इसका मतलब है कि भारत एक विविधतापूर्ण राष्ट्र है जहाँ कई धार्मिक लोग अपनी अलग-अलग संस्कृतियों के साथ शांतिपूर्वक रहते है.
एमपीपीयूआरसी के चेयरमैन डॉ. भरत शरन सिंह ने कहा कि समग्र शिक्षा का मतलब सभी को शिक्षा, सभी तरह की शिक्षा, हमारे ऋषि मुनियों ने जो वर्णमाला बनायी है, उसमें सुलाने से लेकर जगाने तक का संगीत हुआ करता था. भारत की ज्ञान परंपरा की कोई सीमा नहीं है.
डॉ. गंती एस. मूर्ति ने बहुत ही सरल शब्दों में आधुनिक एवं पारंपरिक जीवन के भाव को समझाया. उन्होंने आयुर्वेदिक एवं एलोपैथी को भी सरल भाषा में बताया कि जिससे फायदा मिले, उसका लाभ लें. हर किसी कारण के पीछे वैज्ञानिक कारण नहीं तलाशना चाहिए, होली खेलने या दीपावली मनाने से मन प्रसन्न होता है, तो मनाएं कहने का तात्पर्य है जिस कार्य को करने से ख़ुशी होती है वह आप करे.
अटल बिहारी बाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. ख़ेम सिंह डहेरिया ने कहा कि हमारे पूर्वजों के ग्रंथों को संभालने की जिम्मेदारी हमारी है उन्ही के सहयोग से हम विश्वगुरु बन सकेंगे. विदेशी लोग हमारे यहाँ सिर्फ़ शिक्षा लेने नहीं आते बल्कि ज्ञान प्राप्त करने आते थे. वेदों मे परंपरा के साथ आधुनिकता का मिश्रण है, दुनिया की निगाह भारत पर है क्योंकि भारत ही विश्व कल्याण की बात करता है.
पीपुल्स विश्वविद्यालय की ओर से डॉ. अरुण कुमार खोपरे को सम्मानित किया गया. उन्होंने विश्व की सबसे बड़ी रामचरितमानस लिखी है. कार्यक्रम की अध्यक्षता पीपुल्स विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. हरीश राव द्वारा की गई. इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्राध्यापक, छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.
तोमर
You may also like
छात्रों ने परीक्षा में पास होने के लिए चिपकाए 500 रुपये के नोट, एक साल का बैन
Bollywood: A tale of 'dying originality' in music
Balochistan declares independence: Says do not call Balochs as 'Pakistan's own people'
रतन टाटा की तस्वीर वाले नोटों की अफवाहें: सच्चाई क्या है?
बुजुर्ग महिला की हत्या: पति और बहू के बीच का खौफनाक राज