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बच्चों की शिक्षा और अधिकार सर्वोपरि : डॉ. वर्णिका शर्मा

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-4 वर्ष से चल रहे अभिभावक और शाला के विवाद का डॉ. वर्णिका शर्मा ने मात्र 3 दिन में किया निराकरण

रायपुर 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा ने चार वर्षों से एक पालक और निजी शाला के बीच चल रहे पेचीदा और विवादास्पद मामले को मात्र तीन दिन में सुलझाकर दोनों पक्षों को बाल हित में न्याय एवं संतोष प्रदान किया ।

उल्लेखनीय है कि एक अधिवक्ता आवेदिका के दो बच्चे पिछले वर्षों और विशेषतः कोरोना कालखंड में स्थानीय सालेम शाला में पढ़ रहे थे । आवेदिका की आर्थिक स्थिति कठिन होने से उसने चार वर्ष का शुल्क अदा नहीं किया था और बच्चों को दूसरे स्कूल में दाखिल करा दिया था । शाला ने उक्त परिस्थिति में स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जिसके फल स्वरूप प्रार्थी को इस वर्ष सीबीएसई बोर्ड में प्रविष्टि का संकट उत्पन्न हो गया था । प्रकरण में दोनों ही पक्षकारों का कथन पक्ष यद्यपि सही था परंतु बच्चों के शिक्षा के अधिकार हनन की संभावना थी । इसे ध्यान में रखते हुए आयोग की अध्यक्ष डॉ वर्णिका शर्मा ने दोनों पक्षों को समझाइश एवं निर्देश दिए । शाला प्रबंधन ने आयोग के अनुरोध पर बकाया शुल्क में रियायत दी । डॉ. वर्णिका शर्मा ने रियायत के उपरांत समक्ष में शाला को शुल्क एवं आवेदिका को स्थानांतरण प्रमाण पत्र , रसीदें, अंकसूचियां प्रदान करवाकर सौहाद्रपूर्ण वातावरण में प्रकरण का केवल तीन दिन में निराकरण कर दिया । तीन दिन भी लगातार रखे गए प्रकरण 8 सितंबर को शुरू हुआ और 10 सितंबर को समाप्त भी हो गया । आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे प्रकरण विशिष्ट प्रकृति के होते हैं जिनमें कानूनी लड़ाई में लंबा समय लगता है अतः बेहतर होता है कि मिल बैठकर विवाद सुलझाकर बच्चों के हितों को सर्वोपरि माना जाकर कार्यवाही की जावे ।

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(Udaipur Kiran) / गेवेन्द्र प्रसाद पटेल

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