जयपुर, 4 नवंबर (Udaipur Kiran) . इतिहास की पुस्तकों में ईसा पूर्व एवं ईस्वी पश्चात् लिखना Indian इतिहास की पुरातन परम्परा के साथ न केवल छल है बल्कि पूरी दुनिया को भ्रमित करने का बड़ा षड्यंत्र है. यह एक साम्प्रदायिक, अनैतिक, अवैज्ञानिक एवं अमानवीय कृत्य है तथा इस अपराध के लिए केवल ईस्ट इंडिया कंपनी व फिरंगी सरकार ही उत्तरदायी नहीं थी बल्कि आजादी के बाद इस काम को काले अंग्रेजों ने भी कुटिलता पूर्वक आगे बढ़ाया है . अब यह बंद होना चाहिए .
उक्त विचार अमेरिका स्थित Indian राजदूतावास में प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक एवं Indian संस्कृति शिक्षक रहे डॉ मोक्षराज ने आर्यसमाज की स्थापना के सार्धशती समारोह के अवसर पर स्वर्ण जयंती पार्क रोहिणी में युवा मंच “द यूथ इग्नाइट” द्वारा पुरातत्व एवं इतिहास विषय पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए.
उन्होंने कहा कि भारत की स्वतंत्रता से पहले Indian इतिहासकार व अधिकांश विद्वान् प्रायः सृष्टि सम्वत्, विक्रम संवत् व शक सम्वत् का ही प्रयोग करते थे . तब परंपरावादी विद्वानों द्वारा ईसा पूर्व व ईसा पश्चात् लिखना उचित नहीं माना जाता था .
इस अवसर पर डॉ. मोक्षराज ने इतिहास के लेखकों को सवालिया लहजे में कहा कि आप ईसा पूर्व शब्द का प्रयोग तो करते हो किंतु उस पूर्व की कालावधि का सही निर्धारण करने में Assamर्थ हो . आप उस पूर्व कालावधि से इतिहास का आरंभ क्यों नहीं करते ? इसका मतलब है या तो आपको मानवसृष्टि व सभ्यताओं के इतिहास की पूरी जानकारी नहीं है या आप धूर्त हो और अन्य सभी सम्प्रदायों के प्रवर्तकों की उपेक्षा कर ईसा के नाम को इतिहास के माध्यम से सब पर थोपना चाहते हो. इस प्रकार की पक्षपातपूर्ण लेखनी वाले तथाकथित इतिहासकारों ने अन्य मानव सभ्यताओं के साथ न केवल अन्याय किया है बल्कि पूरी दुनिया को अंधेरे में भी रखा है .
छल व क्रूरता से मिले साम्राज्य की ताक़त के मद में चूर होकर इन लोगों ने हमें इतिहास के सही स्वरूप से वंचित रखा है तथा भारत के परंपरागत इतिहास लेखकों को अपने रास्ते से हटाते रहे हैं .
संगोष्ठी में डॉ. मोक्षराज ने कई देशों व भारत के कौने-कौने से पधारे हजारों लोगों के मध्य तल्ख़ लहजे में कहा कि अपनी पुस्तकों से अब वे तारीख़ मिटा दें जो हमारा इतिहास मिटाने के लिए लिखी गई . हमें हमारा इतिहास बताने के लिए किसी साम्प्रदायिक मापदंड व अर्वाचीन विदेशी लेखक की आवश्यकता नहीं है . वर्तमान का कॉमन एरा भी एक छलावा है .डॉ. मोक्षराज महासम्मेलन में चारों दिन दिल्ली रहे तथा वे अंतरराष्ट्रीय वेदगोष्ठी एवं युवामंच द्वारा आयोजित विभिन्न सात सत्रों में संयोजक, संचालक व प्रमुख वक्ता के रूप में शामिल रहे.
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(Udaipur Kiran)
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