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राेहतक: जब पराली का सर्वे सेटेलाइट से हो सकता है तो जलभराव का क्यों नहीं:हुड्डा

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सरकार तुरंत करवाएं स्पेशल गिरदावरी, 70 हजार रुपये प्रति एकड़ दिया जाए मुआवजा

कलानौर व महम हल्के के गांवों का पूर्व सीएम ने किया दौरा

रोहतक, 7 सितंबर (Udaipur Kiran) । पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जब पराली जलाने का सर्वे सरकार सेटेलाइट से करा लेती है तो जलभराव का क्यों नहीं करवा रही है, इससे साफ है कि सरकार पोर्टल का बहाना बना रही है और स्थिति यह है कि कई जगहों पर तो पोर्टल न चलने की शिकायतें आ रही है। पूर्व सीएम ने कहा कि किसानों का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है और सरकार को तुरंत स्पेशल गिरदावरी करवा कर प्रति एकड़ 70 हजार रुपये मुआवजा देना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि भले ही इस बार बारिश थोड़ी सी अधिक हुई है, लेकिन सरकार ने बाढ़ से निपटने के लिए कोई इंतजाम नहीं किये थे और लोगों का अपने हाल पर छोड़ दिया।

रविवार को पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडडा ने कलानौर व महम हल्के गांवों पहुंचकर जलभराव की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की नाकामी के चलते बाढ़ व जलभराव की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। लोगों को तुरंत मदद और मुआवजे की आवश्यकता है। लेकिन नुकसान की स्पेशल गिरदावरी करवाने की बजाए एक बार फिर सरकार ने लोगों को पोर्टल के हवाले कर दिया है। पिछले कई साल से सरकार मुआवजा देने की बजाए पोर्टल-पोर्टल खेल रही है।

इस व्यवस्था के चलते किसी भी आपदा से पीड़ित 90 प्रतिशत लोगों को मुआवजा ही नहीं मिल पाता। जो इक्का-दुक्का किसानों को मिलता है, उसमें भी कई-कई महीने लग जाते हैं। इसीलिए कांग्रेस और तमाम पीड़ितों की मांग है कि पोर्टल के झंझट छोड़कर सीधे किसानों को आर्थिक मदद पहुंचाई जाए। किसानों के साथ खुद ट्रेक्टर चलाकर महम और कलानौर हल्के के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे हुड्डा ने कहा कि खेतों में खड़ी पूरी फसल तो बर्बाद हुई ही है और जलभराव को देखते हुए, आने वाली फसल की उम्मीद भी नजर नहीं आ रही।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि जब 1995 में ऐसी ही बाढ़ आई थी तो वो खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री को हरियाणा लेकर आए थे। उस समय कांग्रेस सरकार ने किसानों को फसलों के साथ खेत के कोठड़े, ट्यूबवैल, तमाम मकानों और दुकानों समेत प्रत्येक नुकसान का मुआवजा दिया था। लेकिन मौजूदा सरकार पराली जलाने का केस तो सैटेलाइट इमेज देखकर दर्ज कर देती है और जब मुआवजा देने की बारी आती है तो किसानों को पोर्टल के हवाले कर दिया जाता है। बीजेपी ने पोर्टल को अपनी जिम्मेदारी से भागने और मुआवजे में देरी का जरिया बना लिया है।

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(Udaipur Kiran) / अनिल

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