दाैसा, 24 मई . गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने एक बार फिर समाज के मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद की है. उन्होंने आठ जून को भरतपुर के पीलूपुरा के कारवारी गांव में महापंचायत बुलाने का ऐलान किया है. यह वही स्थान है, जहां 2008 के आंदोलन के दौरान फायरिंग में कई लोगों की जान गई थी.
विजय बैंसला ने कहा कि अब फैसला समाज करेगा और जिम्मेदारी सरकार की होगी.
विजय बैंसला ने देवनारायण योजना को समाज के लिए ‘गीता’ बताते हुए कहा कि इसका क्रियान्वयन ठीक तरीके से नहीं हो रहा है. इससे समाज के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि आरजेएस (राजस्थान न्यायिक सेवा) में बैकलॉग और रोस्टर प्रणाली लागू नहीं की गई, जिससे युवाओं को आरक्षण का सही लाभ नहीं मिल रहा.
विजय बैंसला ने बताया कि शहीद रूपनारायण की पत्नी अब भी नौकरी और मुआवजे का इंतजार कर रही हैं. गृह मंत्री से मुलाकात के बाद भी उन्हें कुछ नहीं मिला. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में सरकार से दो बार बातचीत हुई, लेकिन जमीन पर कोई बदलाव नहीं दिखा. ऐसे में समाज को अब एकजुट होकर फैसला करना होगा.
पूर्व में भाजपा से चुनाव लड़ चुके विजय बैंसला ने कहा कि उनका एजेंडा केवल समाज के बच्चों का भविष्य सुधारना है. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ी पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो. अगर देवनारायण योजना ही ठीक से लागू नहीं हो रही तो हम कैसे उम्मीद करें कि समाज आगे बढ़ेगा?
सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए विजय बैंसला ने कहा कि अगर सरकार सकारात्मक होती तो हमें ये सब कहने की जरूरत ही नहीं पड़ती. सरकार में गुर्जर समाज के प्रतिनिधित्व पर सवाल उठाते हुए विजय बैंसला ने कहा कि एकमात्र राज्य मंत्री के अलावा कोई कैबिनेट स्तर का मंत्री नहीं है. उन्होंने दोहराया कि आंदोलन किसी पद या कुर्सी के लिए नहीं, बल्कि समाज के विकास और युवाओं के भविष्य के लिए हुआ था. लेकिन, अब तक कई मुद्दे उलझे हुए हैं.
विजय बैंसला 24 मई 2008 की फायरिंग में मारे गए गुर्जर समाज के लोगों को श्रद्धांजलि देने शहीद स्मारक पहुंचे थे. इस मौके पर उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आठ जून को होने वाली महापंचायत सिर्फ एक सभा नहीं, बल्कि समाज की दिशा तय करने वाला बड़ा निर्णय साबित हो सकती है.
विजय बैंसला ने सरकार और अधिकारियों से अपील की कि देरी करने से अच्छा है कि जल्द समाधान निकालें. उन्होंने कहा कि सकारात्मक वार्ता से ही रास्ता निकलता है, और हम चाहते हैं कि जो जरूरी काम हैं, वो समय रहते पूरे हो जाएं.
आठ जून की महापंचायत अब सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि समाज की भावनाओं की अभिव्यक्ति बन चुकी है. अब देखना यह है कि सरकार इससे पहले समाधान की ओर कोई ठोस कदम उठाती है या फिर महापंचायत के बाद कोई नया आंदोलन खड़ा होता है.
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/ रोहित
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