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पाकेला पोटाकेबिन मामला : छात्रों को भोजन में फिनाइल मामले में शिक्षक धनंजय साहू के खिलाफ एफआईआर दर्ज, पुलिस हिरासत में

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-अधीक्षक कार्यालय अटैच व सहायक अधीक्षक भी हटाए गए

सुकमा, 27 अगस्त (Udaipur Kiran) ।

सुकमा जिले के छिंदगढ़ विकासखंड के बालक आवासीय विद्यालय पोटाकेबिन पाकेला से बड़ा मामला सामने आया है। बच्चों के भोजन में रसायन मिलने की शिकायत ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने तत्काल और कड़े कदम उठाते हुए कई जिम्मेदार अधिकारियों -कर्मचारियों पर कार्रवाई की है।

विद्यालय में पदस्थ शिक्षक धनंजय साहू (शिक्षक एल.बी.) पर गंभीर आरोप लगने और थाना छिन्दगढ़ में प्राथमिकी दर्ज होने के साथ ही पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के कारण उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में उन्हें केवल जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा।प्रशासनिक दृष्टिकोण से दुजाल पटेल (शिक्षक एल.बी.) को अधीक्षक, बालक आवासीय विद्यालय पोटाकेबिन पाकेला के प्रभार से मुक्त करते हुए उन्हें जिला परियोजना कार्यालय, समग्र शिक्षा, सुकमा में संलग्न कर दिया गया है। उनके स्थान पर गौतम कुमार ध्रुव (शिक्षक एल.बी., माध्यमिक शाला पेदापारा, विकासखंड छिन्दगढ़) को अधीक्षक का प्रभार सौंपा गया है। आदेशानुसार उनका वेतन मूल पदस्थापना संस्था से ही आहरित किया जाएगा।विद्यालय के सहायक अधीक्षक भवन सिंह मंडावी (सहायक शिक्षक एल.बी.) को भी उनके दायित्वों से मुक्त कर दिया गया है। उनकी जगह रतन सिंह पैकरा (शिक्षक एल.बी., माध्यमिक शाला उदलतरई, विकासखंड छिन्दगढ़) को आगामी आदेश तक सहायक अधीक्षक का कार्यभार सौंपा गया है।

छिंदगढ़ ब्लॉक शिक्षा अधिकारी एवं बीआरसी को इस पूरे मामले को लेकर कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है, साथ ही यहां पदस्थ अधीक्षक, सहायक अधीक्षक सहित पोटाकेबिन अनुदेशकों नोटिस जारी कर पूरे मामले में जवाब तलब किया गया है। इधर इस पूरे मामले को लेकर जिला प्रशासन बड़ा एक्शन ले सकता है, क्योंकि इस पूरे मामले को लेकर जिम्मेदार कर्मचारी ने लापरवाही बरती है।

कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने आज कहा है कि “बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि आवासीय विद्यालयों की सतत निगरानी की जाए और बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखा जाए।

(Udaipur Kiran) / मोहन ठाकुर

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