कानपुर, 08 सितम्बर (Udaipur Kiran) । आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग ने डिजिटल साक्षरता, कोडिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित यह अनोखा प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। बीते कुछ वर्षों में एससीईआरटी ने इन विषयों को हमारी पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया है। अब इनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए हम आईआईटी जैसे प्रमुख संस्थानों के साथ साझेदारी कर रहे हैं। यह प्रशिक्षण भविष्य की कक्षाओं को तैयार करने की दिशा में पहला कदम है। ये 750 शिक्षक न सिर्फ खुद सीखेंगे बल्कि अपने विद्यालयों में बच्चों को भी यह ज्ञान देंगे। हमारा लक्ष्य है कि हम अपने बच्चों को एआई और डिजिटल तकनीकों की मूलभूत समझ दें, जो भविष्य की कार्यशैली में जरूरी होगी। यह बातें सोमवार को डॉ. पवन सचान ने कही।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी कानपुर) ने डिजिटल साक्षरता, कम्प्यूटेशनल थिंकिंग, कोडिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विषय पर आधारित विज्ञान शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। यह देश का पहला ऐसा अनूठा प्रयास है, जिसका उद्देश्य सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को भविष्य के लिए तैयार शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित करना है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप डिजाइन किया गया है।
आईआईटी कानपुर परिसर में इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसके बाद प्रो. जे रामकुमार ने स्वागत भाषण दिया। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों से चुने गए 750 विज्ञान शिक्षकों ने भाग लिया, इन 750 शिक्षकों के माध्यम से यह पहल कक्षा छह से आठ तक के करीब 75 लाख छात्रों तक पहुंचेगी, जिससे यह देश के सबसे बड़े शिक्षक प्रशिक्षण प्रयासों में से एक बन गया है।
प्रोफेसर सत्यकी रॉय ने डिजिटल साक्षरता को लेकर कहा कि जहां तक शिक्षकों के लिए एमओओसी की बात है, मुझे कोई बड़ी समस्या नहीं दिखती है क्योंकि उनके पास आमतौर पर ऐसे सिस्टम होते हैं। जिनसे वे सामग्री तक पहुँच सकते हैं। लेकिन छात्रों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। कई घरों में अभी भी केवल एक स्मार्टफोन होता है, जिससे पढ़ाई में निरंतरता नहीं रहती। डिजिटल साक्षरता की बात करते समय यह भी जरूरी है कि हम छात्रों को यह सिखाएं कि कंटेंट का चयन कैसे करें और डिजिटल दुनिया में सुरक्षित तरीके से कैसे नेविगेट करें। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम न सिर्फ आईआईटी कानपुर, एससीईआरटी उत्तर प्रदेश और अन्य सहयोगी संस्थानों की सामूहिक ताकत को दर्शाता है, बल्कि यह भारत को 21वीं सदी के लिए तैयार स्कूलों के निर्माण की दिशा में एक नई दिशा भी देता है।
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
You may also like
Mirai Movie Review: Teja Sajja की Mahakavya Story में Thrilling Adventure
भारत से 'रिश्ते अहम' लेकिन रूसी तेल ख़रीदना बंद करना होगा: सर्जियो गोर ने और क्या कहा?
Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति के दोस्त चार्ली की हत्या का मामला, एफबीआई ने जारी की संदिग्ध की नई तस्वीरें
अजमेर का सेवन वंडर्स पार्क बना विवाद का केंद्र, सुप्रीम कोर्ट आदेश पर अब बुलडोजर से हो रहा हटाने का काम
Asia Cup 2025: 'अगर पाकिस्तान खेल रहा होता तो...'टॉवेल ड्रामा पर आकाश चोपड़ा ने सूर्यकुमार के डिसीजन पर उठाए सवाल