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किसानों की वास्तविक समस्याओं को समझे बिना उन पर तकनीक थोपना सही नहीं: प्रो. अमित पात्रा

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पूर्वी उत्तर प्रदेश के एग्रीफूड सिस्टम में बदलाव के लिए विशेषज्ञों की चर्चा

वाराणसी,12 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारतीय प्रौद्यौगिकी संस्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (आईआईटी बीएचयू) देश के विभिन्न संस्थानों के साथ मिलकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में एग्रीटेक इनोवेशन के विकास पर काम कर रहा है। इस पहल का उद्देश्य शोध विचारों और नवीन तकनीकों का उपयोग करके किसानों की प्रमुख समस्याओं का समाधान करना और उन्हें कृषि-उद्यमिता की ओर प्रेरित करना है। इसमें प्रिसीजन फार्मिंग से लेकर खेतों के कामकाज के डिजिटलीकरण तक, यह पहल पूर्वी यूपी के एग्रीफूड सिस्टम में परिवर्तनकारी भूमिका निभाएगी। उत्पादकता बढ़ाने, लागत घटाने और किसानों को डेटा-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाने में मदद करेगी।

इसी पहल को आगे बढ़ाने के लिए मंगलवार को आईआईटी बीएचयू ने एग्रीबिज़नेस पार्क का प्राथमिक ड्राफ्ट तैयार किया और इस पर चर्चा करने के लिए कई ब्रेनस्टॉर्मिंग सत्र भी आयोजित किया। इस श्रृंखला का तीसरा सत्र इरी के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) में आयोजित किया गया। इसमें 40 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें आइसार्क, इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज बीएचयू, इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बीएचयू, इक्रीसैट, आईसीएआर–भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, भोपाल, सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, आईसीएआर–सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर, एनजीओ, निजी क्षेत्र के साझेदार और अन्य हितधारक शामिल थे। सत्र में पूर्व आईएएस अधिकारी नीलकमल दरबारी ने बताया कि इस क्षेत्र के 85 फीसद किसान छोटे और सीमांत हैं, इसलिए किसान-उन्मुख, तकनीक-आधारित और बाजार-केन्द्रित पहल की आवश्यकता है। उन्होंने सलाह दी कि सरकारी विभाग जो कार्य पहले से कर रहे हैं, उनकी पुनरावृत्ति न की जाए, बल्कि इस प्रस्तावित पहल को सपोर्ट सर्विस रेफरेंस सेंटर के रूप में स्थापित किया जाए। उन्होंने किसानों और तकनीक के बीच की खाई को पाटने, प्रमुख फसलों की पहचान करने और एक “एग्रीबिजनेस पार्क” तथा तकनीकी हब विकसित करने की बात कही, जो किसानों, उद्योग, एफपीओ और एनजीओ को जोड़ने का कार्य करे।

कार्यक्रम में आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने जोर देकर कहा कि किसानों की वास्तविक समस्याओं को समझे बिना उन पर तकनीक थोपना सही नहीं है। उन्होंने किसान-केन्द्रित समाधान, धान–सब्जी–फल जैसी वैल्यू चेन को मजबूत करने, सभी हितधारकों में जवाबदेही सुनिश्चित करने और लक्षित सलाह व बाज़ार से जुड़ाव के जरिए उद्यमिता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की कृषि के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया और कहा कि हमें केवल उत्पादकता पर केंद्रित रणनीतियों से आगे बढ़कर एग्रीबिजनेस विकास, चावल का मूल्य संवर्धन, उद्यमिता और किसानों की लाभप्रदता पर ध्यान देना चाहिए। अन्य प्रतिनिधियों और साझेदार संस्थानों ने भी इन प्राथमिकताओं का समर्थन किया। सुझावों में एग्रीपार्क को लैंडस्केप के माध्यम से विकसित करना, इंटरक्रॉपिंग को बढ़ावा देना, शुरुआत में एग्रीटेक को 4–5 मुख्य फसलों पर केंद्रित करना और समय के साथ अन्य फसलों को जोड़ना शामिल था। इन सुझावों का उद्देश्य तकनीकों को बड़े पैमाने पर अपनाना, सप्लाई चेन में सुधार लाना और एग्रीबिजनेस के लिए अनुकूल माहौल बनाना था। सत्र का समापन इस सहमति के साथ हुआ कि क्षेत्र की एग्रीटेक क्षमता को विकसित करने के लिए बुनियादी ढांचे, डिजिटल नवाचार, संस्थागत समर्थन और उद्यमिता विकास को मिलाकर एक ठोस प्रस्ताव आगे बढ़ाया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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