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एल्विश यादव को हाईकोर्ट से झटका, सांप के जहर मामले में मुकदमा नहीं होगा रद्द

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प्रसिद्ध यूट्यूबर और सोशल मीडिया स्टार एल्विश यादव (Elvish Yadav) को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। रेव पार्टियों में सांपों के जहर और ड्रग्स के कथित उपयोग से जुड़े एक मामले में दर्ज एफआईआर और चार्जशीट को रद्द करने की उनकी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। अब उन्हें गाजियाबाद की सीजेएम कोर्ट में इस मामले का सामना करना होगा। यह मामला न केवल एल्विश की छवि पर सवाल उठा रहा है, बल्कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की जिम्मेदारियों पर भी चर्चा छेड़ रहा है। 

कोर्ट का फैसला और मामले की पृष्ठभूमि

इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने की, ने सोमवार को एल्विश यादव की याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका नोएडा के सेक्टर-49 थाने में दर्ज एक मुकदमे से संबंधित थी, जिसमें उन पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act) के उल्लंघन और रेव पार्टियों में सांप के जहर (Snake Venom) और नशीली दवाओं के उपयोग का आरोप है। गौतमबुद्ध नगर की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले में चार्जशीट स्वीकार कर एल्विश को समन जारी किया था, जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट के इस फैसले से अब एल्विश को कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।

आरोपों का स्वरूप और जांच

नोएडा पुलिस ने एल्विश यादव के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। चार्जशीट के अनुसार, एल्विश ने अपने यूट्यूब वीडियो के लिए सांपों और उनके जहर का दुरुपयोग किया। इसके अलावा, उन पर रेव पार्टियों (Rave Party) के आयोजन, विदेशी मेहमानों को बुलाने, और उन्हें सांप के जहर और अन्य नशीली दवाओं का सेवन कराने का आरोप है। ये गतिविधियां न केवल अवैध हैं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण कानूनों का भी उल्लंघन करती हैं। इस मामले ने सोशल मीडिया पर व्यापक बहस छेड़ दी है, जहां लोग इन्फ्लुएंसर्स की नैतिक जिम्मेदारी पर सवाल उठा रहे हैं।

एल्विश यादव का पक्ष

एल्विश यादव ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि उनके खिलाफ यह मामला बदनाम करने की साजिश है। उनकी याचिका में कहा गया था कि चार्जशीट और समन आदेश में पर्याप्त सबूत नहीं हैं। हालांकि, हाईकोर्ट ने उनके तर्कों को स्वीकार नहीं किया और मामले को आगे बढ़ाने का आदेश दिया। एल्विश के प्रशंसक सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में उतर आए हैं, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई हो सकती है।

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