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नवरात्रि में हवन का ये राज जानिए, घर में आएगी अपार खुशियां और समृद्धि!

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शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म में बेहद खास पर्व है। हर साल इसे बड़ी श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। इस बार यह 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ खत्म हो रही है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है और लोग व्रत रखते हैं।

नवरात्र के आखिरी दो दिन यानी अष्टमी और नवमी को बहुत पवित्र माना जाता है। इन दिनों कन्या पूजन और हवन किया जाता है। मान्यता है कि सही तरीके से किया गया हवन घर में सुख-समृद्धि लाता है और मां दुर्गा की कृपा मिलती है।

अष्टमी और नवमी पर हवन का महत्व

हवन को नवरात्रि के सबसे शुभ कामों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि अग्नि में दी गई आहुति न सिर्फ देवी को खुश करती है, बल्कि आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी भर देती है। हवन का धुआं आसपास के माहौल को शुद्ध करता है और बुरी शक्तियों को दूर भगाता है। यही वजह है कि अष्टमी और नवमी पर हवन करना खास फायदेमंद होता है।

हवन के लिए आवश्यक सामग्री

हवन करने के लिए कुछ खास चीजों की जरूरत पड़ती है। इनमें सूखा नारियल, मुलैठी की जड़, कलावा, लाल कपड़ा, हवन कुंड, अश्वगंधा, ब्राह्मी, नीम और बेल की लकड़ी, चंदन, पीपल या आम की लकड़ी, गूलर की छाल शामिल हैं। आहुति के लिए काला तिल, चावल, जौ, गुग्गल, कपूर, गाय का घी, लौंग, इलायची, लोभान और शक्कर का इस्तेमाल होता है।

अष्टमी और नवमी हवन विधि

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में नहाकर साफ कपड़े पहनें। घर के किसी शुभ जगह पर हवन कुंड लगाएं और उस पर स्वास्तिक बनाएं। दीपक जलाकर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करें। आम की लकड़ी से आग जलाएं और ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा’ मंत्र बोलते हुए आहुति दें। घी, जौ, तिल, चावल, गुग्गल आदि को अग्नि में डालें। आखिर में पूर्णाहुति देकर मां से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें।

हवन के नियम

नहाकर पवित्र कपड़े पहनें। हवन कुंड को उत्तर या पूर्व दिशा में रखकर हवन करें। सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें और संकल्प लें। आहुति देते वक्त मंत्र बोलें। हवन खत्म होने पर आरती करें और प्रसाद बांटें।

आहुति के मंत्र

हवन के दौरान अलग-अलग देवताओं के लिए मंत्र बोले जाते हैं, जैसे – ऊं गणेशाय नम: स्वाहा, ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा, ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा, ऊं शिवाय नम: स्वाहा, ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा। इसी तरह अन्य देवी-देवताओं के नाम लेकर आहुति देकर हवन पूरा किया जाता है।

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