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9 साल की उम्र में शुरू हुए पीरियड्स! जानिए क्यों समय से पहले आ रहा है यौवन?

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आजकल माता-पिता के बीच एक सवाल बार-बार उठ रहा है—हमारी बेटियां इतनी कम उम्र में यौवन की दहलीज पर क्यों पहुंच रही हैं? 9 से 10 साल की छोटी बच्चियों में पीरियड्स (Menstruation) शुरू होना अब आम बात होती जा रही है। यह स्थिति, जिसे चिकित्सा जगत में प्रीकॉशियस प्यूबर्टी (Precocious Puberty) कहा जाता है, न केवल माता-पिता को चिंतित कर रही है, बल्कि समाज और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए भी एक गंभीर विषय बन गया है। आइए, इस लेख में हम इस रहस्य को समझते हैं कि आखिर क्यों छोटी बच्चियां समय से पहले यौवन की ओर बढ़ रही हैं और इसके पीछे क्या कारण हैं।

प्रीकॉशियस प्यूबर्टी क्या है?

प्रीकॉशियस प्यूबर्टी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चे सामान्य उम्र से पहले यौवन के लक्षण दिखाने लगते हैं। लड़कियों में यह आमतौर पर 8 साल से पहले पीरियड्स शुरू होने या शारीरिक बदलाव जैसे स्तन विकास (Breast Development) के रूप में सामने आता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार, पिछले कुछ दशकों में यह समस्या वैश्विक स्तर पर बढ़ी है। भारत में भी, खासकर शहरी क्षेत्रों में, इस तरह के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं।

बदलते जीवनशैली का प्रभाव

आज की जीवनशैली इस समस्या का एक बड़ा कारण बन रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में जंक फूड (Junk Food) और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन हार्मोनल असंतुलन को बढ़ावा देता है। इन खाद्य पदार्थों में मौजूद रसायन, जैसे कि Endocrine Disruptors, शरीर में हार्मोनल बदलाव को तेज कर सकते हैं। इसके अलावा, मोबाइल फोन जैसे गैजेट्स (Smartphones) और स्क्रीन टाइम का अत्यधिक उपयोग बच्चों में तनाव और नींद की कमी का कारण बन रहा है, जो अप्रत्यक्ष रूप से यौवन को प्रभावित करता है।

पर्यावरण और जेनेटिक्स की भूमिका

पर्यावरणीय कारक भी इस समस्या को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। प्लास्टिक उत्पादों में मौजूद BPA (Bisphenol A) जैसे रसायन हार्मोनल गतिविधियों को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, कुछ मामलों में जेनेटिक्स भी एक कारण हो सकता है। अगर परिवार में माता-पिता या करीबी रिश्तेदारों को कम उम्र में यौवन का अनुभव हुआ हो, तो बच्चियों में भी इसकी संभावना बढ़ जाती है।

माता-पिता क्या करें?

इस स्थिति से निपटने के लिए माता-पिता को जागरूक होना जरूरी है। बच्चों को संतुलित आहार देना, जिसमें हरी सब्जियां, फल और प्रोटीन शामिल हों, बेहद जरूरी है। इसके साथ ही, बच्चों को नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। अगर माता-पिता को लगता है कि उनकी बेटी में यौवन के लक्षण असामान्य रूप से जल्दी दिख रहे हैं, तो तुरंत किसी Pediatric Endocrinologist से संपर्क करना चाहिए। समय पर जांच और उपचार इस स्थिति को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

समाज और शिक्षा की भूमिका

स्कूलों और समाज को भी इस विषय पर खुलकर बात करने की जरूरत है। बच्चों और अभिभावकों को Menstrual Health Education के बारे में जागरूक करना जरूरी है। कई बार, कम उम्र में पीरियड्स शुरू होने पर बच्चियां मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार नहीं होतीं। ऐसे में, शिक्षकों और माता-पिता को उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। National Health Mission जैसे सरकारी कार्यक्रम भी इस दिशा में काम कर रहे हैं, जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।

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