भारतीय आयुर्वेद में गिलोय को औषधियों का खजाना माना जाता है। यह छोटा सा पत्ता न केवल डायबिटीज में नेचुरल इंसुलिन का काम करता है, बल्कि बुखार और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में भी प्रभावी है। चाहे आप ब्लड शुगर को नियंत्रित करना चाहें या रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना हो, गिलोय आपके लिए एक वरदान हो सकता है। आइए, इसके चमत्कारी फायदों और सही सेवन के तरीके को विस्तार से समझते हैं।
गिलोय: प्रकृति का अनमोल उपहार
गिलोय, जिसे वैज्ञानिक भाषा में टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया कहते हैं, एक बेलनुमा पौधा है जो भारत के जंगलों और घरों के आसपास आसानी से मिल जाता है। आयुर्वेद में इसे “अमृता” कहा जाता है, क्योंकि यह शरीर को कई रोगों से बचाने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके पत्ते, तने और जड़ें सभी औषधीय गुणों से भरपूर हैं। गिलोय में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और इम्यून-बूस्टिंग गुण होते हैं, जो इसे डायबिटीज, बुखार, और अन्य बीमारियों के लिए प्रभावी बनाते हैं।
डायबिटीज में गिलोय का जादू
डायबिटीज के मरीजों के लिए गिलोय किसी वरदान से कम नहीं है। यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है और शरीर में इंसुलिन के प्राकृतिक उत्पादन को बढ़ावा देता है। गिलोय में मौजूद हाइपोग्लाइसेमिक गुण रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम करते हैं। दिल्ली के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. राकेश शर्मा बताते हैं, “गिलोय का नियमित सेवन डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर करता है और लंबे समय तक ब्लड शुगर को स्थिर रखने में सहायक है।” हालांकि, इसे डॉक्टर की सलाह के साथ लेना जरूरी है, खासकर अगर आप दवाइयां ले रहे हैं।
बुखार और इम्यूनिटी के लिए फायदेमंद
बुखार, चाहे वह वायरल हो या डेंगू जैसी गंभीर बीमारी से जुड़ा हो, गिलोय इसके इलाज में कारगर है। यह शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने और बुखार को कम करने में मदद करता है। इसके एंटी-पायरेटिक गुण बुखार को नियंत्रित करते हैं, जिससे यह पैरासिटामोल का प्राकृतिक विकल्प बन जाता है। साथ ही, गिलोय इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे शरीर रोगों से बेहतर तरीके से लड़ सकता है। खासकर मानसून के मौसम में, जब बुखार और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है, गिलोय का सेवन सुरक्षा कवच का काम करता है।
गिलोय के अन्य स्वास्थ्य लाभ
गिलोय केवल डायबिटीज और बुखार तक सीमित नहीं है। यह पाचन तंत्र को बेहतर बनाने, त्वचा की समस्याओं को दूर करने, और तनाव को कम करने में भी मदद करता है। इसके नियमित सेवन से लिवर स्वस्थ रहता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। गठिया और जोड़ों के दर्द से जूझ रहे लोगों के लिए भी गिलोय राहत प्रदान करता है, क्योंकि इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करते हैं।
गिलोय का सही सेवन कैसे करें?
गिलोय का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है, लेकिन सही मात्रा और तरीका महत्वपूर्ण है। सबसे आसान तरीका है गिलोय का काढ़ा बनाना। इसके लिए 10-15 सेंटीमीटर लंबा गिलोय का तना लें, इसे पानी में उबालें और छानकर सुबह खाली पेट पिएं। आप गिलोय के पत्तों का रस निकालकर एक चम्मच शहद के साथ भी ले सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों को गिलोय का रस दिन में दो बार, 10-15 मिलीलीटर, लेने की सलाह दी जाती है। बुखार में गिलोय का काढ़ा दिन में दो से तीन बार ले सकते हैं। गिलोय की गोलियां और पाउडर भी बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन इन्हें लेने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूरी है।
सावधानियां और सलाह
हालांकि गिलोय एक प्राकृतिक औषधि है, लेकिन इसका अधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है। गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, और किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। साथ ही, अगर आप डायबिटीज की दवाइयां ले रहे हैं, तो गिलोय के साथ इसका संतुलन बनाना जरूरी है, ताकि ब्लड शुगर बहुत कम न हो जाए। आयुर्वेद विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि गिलोय को हमेशा ताजा और शुद्ध रूप में इस्तेमाल करें।
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