एक छोटे से शहर वडनगर में जन्मे नरेंद्र मोदी का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। गुजरात के इस छोटे से कस्बे में, एक साधारण परिवार में 17 सितंबर 1950 को जन्मे नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने चाय की दुकान से लेकर भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक का लंबा रास्ता तय किया है। उनके इस सफर में मेहनत, लगन और देश के लिए बड़ा विजन शामिल है। आइए, उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं, सुधारों और 2014 से 2025 तक के मील के पत्थरों को देखें, खासकर उनकी तीसरी पारी के संदर्भ में।
बचपन और शुरुआती संघर्षवडनगर में नरेंद्र मोदी का बचपन सादगी भरा था। अपने पिता की चाय की दुकान पर काम करते हुए, उन्होंने मेहनत और अनुशासन की पहली सीख ली। स्कूल के बाद वो रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे, जिसने उनकी जिंदगी को आकार दिया। कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़कर उन्होंने देशभक्ति और संगठन की भावना को आत्मसात किया। 1970 के दशक में वो आरएसएस के प्रचारक बन गए, जिसने उनके नेतृत्व की नींव रखी।
2001 में नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया। उनके नेतृत्व में गुजरात ने विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ। ‘गुजरात मॉडल’ की चर्चा पूरे देश में हुई, जिसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर, उद्योग और निवेश को बढ़ावा देने पर जोर था। 2002 के गुजरात दंगों ने उनके कार्यकाल को विवादास्पद बनाया, लेकिन मोदी ने विकास के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित रखा। 2014 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया, और उनकी करिश्माई छवि ने बीजेपी को ऐतिहासिक जीत दिलाई।
2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने कई बड़े सुधार किए। ‘मेक इन इंडिया’ ने भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया। ‘डिजिटल इंडिया’ ने तकनीक को आम लोगों तक पहुंचाया, जबकि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ ने देश में स्वच्छता को बढ़ावा दिया। 2016 में नोटबंदी और जीएसटी जैसे साहसिक कदमों ने अर्थव्यवस्था को झकझोरा, लेकिन दीर्घकालिक लाभ की उम्मीद जताई गई। 2019 में दोबारा सत्ता में आने के बाद, मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और अनुच्छेद 370 को हटाने जैसे बड़े फैसले लिए। 2024 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद, मोदी ने ‘विकसित भारत 2047’ का विजन पेश किया, जिसमें आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व पर जोर है।
तीसरा कार्यकाल: नई चुनौतियां, नया विजन2024 में तीसरी बार सत्ता में आने के बाद, नरेंद्र मोदी का फोकस भारत को वैश्विक शक्ति बनाने पर है। शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में बड़े सुधारों की योजना है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को और तेज किया गया है, जिसमें स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा और विदेशी निवेश को आकर्षित करना शामिल है। ग्लोबल चैलेंजेस जैसे जलवायु परिवर्तन और डिजिटल सिक्योरिटी पर भी उनकी नजर है। उनकी नीतियों ने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत पहचान दी है, लेकिन विपक्षी दलों की आलोचना और आर्थिक चुनौतियां उनके सामने बड़ी बाधाएं हैं।

नरेंद्र मोदी का नेतृत्व भारत के लिए एक टर्निंग पॉइंट रहा है। उनके समर्थक उन्हें ‘विकास पुरुष’ मानते हैं, जो भारत को आधुनिकता की राह पर ले जा रहा है। आलोचक उनके कुछ फैसलों को विवादास्पद बताते हैं, लेकिन यह सच है कि मोदी ने भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। वडनगर की गलियों से शुरू हुआ उनका सफर आज भी प्रेरणा देता है। जैसे-जैसे भारत 2047 की ओर बढ़ रहा है, मोदी का विजन और नेतृत्व देश को नई दिशा दे रहा है।
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