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भारत की बेटी ने रचा इतिहास: सफ़ीना हुसैन को मिला रेमन मैगसेसे अवॉर्ड!

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नई दिल्ली। भारत की बेटी सफ़ीना हुसैन ने देश का नाम एक बार फिर गर्व से ऊँचा कर दिया है। शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अनूठी पहल से 20 लाख से अधिक लड़कियों को पढ़ाई से जोड़ने वाली समाजसेवी सफ़ीना को एशिया का सबसे प्रतिष्ठित रेमन मैगसेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। इस उपलब्धि ने न सिर्फ़ भारत को गौरवान्वित किया है, बल्कि लाखों लोगों के दिलों में उम्मीद की नई किरण जगाई है। देशभर से लोग उनकी इस उपलब्धि पर बधाइयाँ दे रहे हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति

सफ़ीना हुसैन ने शिक्षा को हर उस लड़की तक पहुँचाने का सपना देखा, जो समाज की बेड़ियों या आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई से वंचित थी। उनकी मेहनत और जज़्बे ने लाखों लड़कियों को नई दिशा दी है। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में शिक्षा का दीप जलाकर उन्होंने न सिर्फ़ बेटियों को सशक्त किया, बल्कि समाज में एक नई क्रांति की नींव रखी। इस सम्मान ने उनके इस मिशन को और मज़बूती दी है।

देश भर से बधाइयों का तांता

आल इंडिया उलेमा बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव अल्लामा बुनई हसनी ने सफ़ीना की तारीफ़ में कहा, “सफ़ीना हुसैन ने शिक्षा से वंचित लड़कियों के लिए जो काम किया है, वह हर किसी के लिए मिसाल है। उनका यह जज़्बा और मेहनत नई पीढ़ी को प्रेरित करेगी। यह सम्मान सिर्फ़ सफ़ीना का ही नहीं, बल्कि उन सभी बेटियों का है जो शिक्षा के ज़रिए अपने सपनों को उड़ान दे रही हैं।”

समाज में नई उम्मीद की किरण

वरिष्ठ उर्दू पत्रकार अज़हर उमरी ने भी सफ़ीना की उपलब्धि को सराहा। उन्होंने कहा, “रेमन मैगसेसे अवॉर्ड सफ़ीना के कार्यों का सच्चा सम्मान है। ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का जो आंदोलन उन्होंने शुरू किया, उसने समाज में बड़ा बदलाव लाया है। यह पुरस्कार उन तमाम परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है, जो अपनी बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर देखना चाहते हैं।”

सफ़ीना हुसैन की यह उपलब्धि भारत की बेटियों के लिए एक नया संदेश है—शिक्षा ही वह ताकत है, जो उन्हें हर मुकाम तक ले जा सकती है।

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